Thursday, September 29, 2011

कविता मेरे लिए क्या है

आज अपने मन की बात कह रहा हूँ  फिर न जाने वक्त हो न हो .
कविता मेरी रूह में बस्ती है 
कविता मेरी सांसों में चलती है 
मेरे संस्कार है कविता 
 मेरा आधार है कविता 
अनूठा प्यार है कविता 
मेरा ईमान भी कविता
मेरा भगवान भी कविता bb
मै कविता को जीता हूँ 
मैं कविता को पीता हूँ
 मैंने जो भी पाया है सब कविता से पाया है
कविता ने ही मुझे ऊपर उठाया है 
मुझे सम्मान देती है
अधरों पर मेरे मुस्कान देती है
मेरी पत्नी भी कविता है
मेरे बच्चे भी कविता है
कभी माँ बनके आती है
पिता का प्यार देती है 
मेरे संग तो मेरी कविता
सैकड़ों रिश्ते निभाती है
कभी मै टूट जाता हूँ
कभी ग़मगीन होता हूँ
कभी आँखें बरसती हैं
तो चुपके से ये आती है
गुदगुदी कर हंसाती है
कभी जब नींद में भयभीत हो
मै जाग जाता हूँ
तो मेरे पास में आकर
थपकियाँ दे कर
फिर से सुलाती है
मेरी आराधना कविता
मेरी संभावना कविता
मेरी बस एक ही इच्छा
अगर मैं प्राण त्यागूँ तो
मेरे अधरों पे कविता हो
मेरी आँखों में कविता हो
मुझे कन्धा लगाने में 
मेरी अर्थी उठाने में 
वही सहयोग दें यारों 
जो कविता को लिखते हों
जो कविता को पढ़ते हों
मेरे अंतिम संस्कार में
कोई  भी मंत्र मत पढना
बस कविता पाठ कर लेना .
                             "चरण"

















Tuesday, September 27, 2011

बचपन के दिन

बुढ़ापे में जीवन हुआ छिन्न भिन्न 
लौट क्यों नहीं आते वे बचपन के दिन 
पलभर ने बीत गए ख़ुशी भरे दिन
अब हम दिन काट रहे पल पल गिनगिन
अम्बिया की बगिया में कनपतिया खेल 
एक पल लड़ मरना और दूजे पल मेल 
फटे हुवे कुरते की पकड़ पकड़ दम  
लल्लू था कल्लू था हम थे और तुम  
भरी दोपहरी में निकल रहा तेल 
पिछवाड़े खेल रहे रेल रेल खेल 
अध् पक्की अम्बियों पर ढेलों के वार
गदराये अधरों से टपक रही लार 
जामफल और जामुन के हरे भरे बाग़
आते हैं आजकल बहुत बहुत याद
सुलग सुलग उठती है मन में एक आग
कैसे हम भूलें उन गन्नो का स्वाद
आँगन में लालड़ी और कोडियों का खेल
प्रदर्शित करता था आपस का मेल
संध्या को दादी की अगल बगल बैठ 
शत्रुओं के बच्चे भी करके घुसपैठ
बोल रहे मीठी मनमोहक बानी 
दादी सुनाईये दिलचस्प कहानी 
दादी ले जाती थी परियों के देश 
अब मित्र यादें रहीं मात्र शेष 
बाक़ी हमारा सर्वस्व गया छिन्न 
लौट क्यों नहीं आते वे बचपन के.
                                "चरण"



















Saturday, September 24, 2011

कहते हैं हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है पर किस औरत का घरवाली या बाहरवाली .
                                                                                                                                              "चरण"


Thursday, September 22, 2011

अब तो सड़कों पर उठाकर फन चला करते हैं सांप 
सारी सडकें साफ़ हैं कितना भला करते हैं सांप ,


Tuesday, September 20, 2011

बेचारी जिंदगी

फिर फिसल कर गिर पड़ी कीचड़ में जिंदगी
और धंसती जा रही कीचड़ में जिंदगी
गाँव शहर ढूड ढूंड थक गए है लोग
हमको मिली रोते हुए बीहड़ में जिंदगी
मजबूर हो हालात के हाथों में बिक गयी
हर घड़ी प्रतारणा सहती है जिंदगी
शायद इसके मुह में अब जुबां नहीं
अक्सर ही खामोश सी रहती है जिंदगी
चारों तरफ शमसान सा लगता है आजकल
कुम्भकरण की नींद में सोई है जिंदगी
हो सके इस वक्त तो इसको संभाल लो
किसी सुनहरी आँख का मोती है जिंदगी .
                                              "चरण"

बेचारी जिंदगी

Monday, September 19, 2011

और थोड़ा साथ निभालो यारों

शमसान तक तो साथ में चलो यारों
और थोड़ा साथ निभालो यारों
मरकर भी निभायेंगे दोस्ती का असूल
आज मेरे साथ कसम खा लो यारों
दूसरी दुनियां में मिलेंगे शायद
यह भ्रम मस्तिष्क से निकालो यारों
कहते हैं सुरापान से घट जाता है कुछ गम
सब मिलके दो दो बूँद मेरे हल्क में डालो यारों
वसीयत लिख दी तुम्हारे नाम जो भी था मेरा
अब इसे प्यार से संभालो यारों
वो भी मेरी कब्र पर आएगी या नहीं
एक सिक्का मेरे नाम से उछालो यारों .
                                             "चरण"
शमसान तक तो साथ में चलो यारों
और थोड़ा साथ निभालो यारों
मरकर भी निभायेंगे दोस्ती का असूल
आज मेरे साथ कसम खा लो यारों
दूसरी दुनियां में मिलेंगे शायद
यह भ्रम मस्तिष्क से निकालो यारों
कहते हैं सुरापान से घट जाता है कुछ गम
सब मिलके दो दो बूँद मेरे हल्क में डालो यारों
वसीयत लिख दी तुम्हारे नाम जो भी था मेरा
अब इसे प्यार से संभालो यारों
वो भी मेरी कब्र पर आएगी या नहीं
एक सिक्का मेरे नाम से उछालो यारों .
                                             "चरण"

Friday, September 16, 2011

इतने दिन अमेरिका में था तो महंगाई के दर्शन नहीं हुए ,यहाँ आते ही बाल खड़े हो गए .

Monday, September 5, 2011

आँखों में ग्लिसरीन लगा रहे हो ,क्या किसी शोक सभा में जा रहे हो .
                                                       "चरण"

Sunday, September 4, 2011

बोलो तुमसे क्या बातें करें ,तुम्हे तो केवल लाशें गिनने की आदत है .
                                                                                            "चरण"

Saturday, September 3, 2011

पिछले दिनों
कविता के छेत्र में
हमने कुछ ऐसे बीज बोये
कि
हमारी हास्य रस कि कविता पर
श्रोता फूट फूट रोये .
                         "चरण"
मचा हुआ है आजकल हल्ला चारों ओर
अमिताभ को सौंफिये राजनीती की डोर
राजनीती की डोर सभी को खुश कर देगा
मार मार विरोधियों का भुस भर देगा .
                                           "चरण"
पता नहीं अब ऊंट किस करवट बैठेगा
                                                "चरण"

Friday, September 2, 2011

तुम हमें खून दो ,हम तुम्हे सर्तिफिकेट देंगे .
                                                     "चरण"