Saturday, February 25, 2012

मुझे जाना है

मुझे सब छोड़ कर मेरे प्रभु के पास जाना है
मुझे मत रोकना मुझको मेरा वादा निभाना है
तेरी चालों में ऐ शैतान अब मैं फंस नहीं सकता
तू कितना फन उठाले किन्तु मुझको डस नहीं सकता
तेरे फन को कुचल कर अब मुझे उस पर जाना है
मुझे मत रोकना मुजको मेरा वादा निभाना है
वो मेरे हर गुनाह और घाव पर मरहम लगता है
मै ठोकर खा के गिरता हूँ तो वह आकर उठाता है
उसी के सामने जाकर यह सिर अपना झुकाना है
मुझे मत रोकना मुझको मेरा वादा निभाना है
मै दुनिया के झमेलों में कहीं पर खो गया था
प्रभु की ओर से आँखें चुरा कर सो गया था
मुझे फिर से वही खोया हुआ विश्वास पाना है
मुझे मत रोकना मुझको मेरा वादा निभाना है
वो इतना दींन है मेरा ही रस्ता देखता होगा
वो अपने आंसुओं को आँख में ही रोकता होगा
मुझे जाकरके उसके आंसुओं में डूब जाना है
मुझे मत रोकना मुझको मेरा वादा निभाना है .
                                                 "चरण"

Sunday, February 19, 2012

मृत्यु गीत

जीवन से तो कुछ न पाया
अब मृत्यु का गीत ही गायें
आ मृत्यु हम तुझे सराहें
जीवन ने तो केवल हमको
धोखा ही वरदान दिया है
और हमारे सर पर झूठी
प्रतिष्ठा को तान दिया है
अब कब तक हम इसी सहारे
झूठे सच्चे संकट पाएं
आ मृत्यु हम तुझे सराहें
कुछ तो इस हद तक पाते हैं
खाते खाते बच जाता है
कुछ बेचारों का दिन यूँही
बिन खाए ही कट जाता है
शौख नहीं भूखा रहने का
भूखा रहना पड़ता है
प्राप्त नहीं भोजन होता तो
क्या बेचारे पत्थर खाएं
आ मृत्यु हम तुझे सराहें .
                       "चरण"

Saturday, February 11, 2012

राजदरबार से फुटपाथ की बातें न करो 
पत्थरों से कभी जजबात की बातें न करो 
जहर भी सच के लिए पीलो तो कोई बात बने 
सिर्फ यूँ बैठ के सुकरात की बातें न करो .


वेशभूषा पहन पुजारी की 
है खड़ी शक्सियत शिकारी की 
होंठ पर वेद की ऋचाएं हैं 
हाथ में मूठ है कटारी की .

Thursday, February 9, 2012

पहले फुटपाथ की हर लाश उठा ली जाये 
फिर सड़क से कोई बारात निकाली जाये 
सिर्फ दीवार गिराने से न होगा कुछ भी 
अब तो बुनियाद की हर ईंट निकाली जाये .


कुर्सियां फुटपाथ के जज़्बात से अवगत नहीं 
हर तरफ दीवार ही दीवार है कोई छत नहीं 
सौंप बैठा वक्त उनको काम नवनिर्माण का 
आज अपनी ही दरारों से जिन्हें फुरसत नहीं .

Thursday, February 2, 2012

हमें इन्तेजार है

तुम्हारी मुस्कराहट का हमें भी इन्तेजार है 
तुम्हे खुश देखने के वास्ते दिल बेकरार है 
तुम्हारी आँख के आंसू कहीं पर्वत न बन जाये 
इन्हें अब सूख जाने का हमें भी इन्तेजार है 
तुम हंसती हो तो लगता है क़ि मधुमास आ गया 
इस हंसी को देखने का फिर हमें अब इन्तेजार है 
तुम्हारे दर्द के पीछे कोई तो राज गहरा है 
इस राज के खुलने का हमको इन्तेजार है 
चली आओ हमारी बाँहों में शायद सकूँ मिले 
पुरानी जिंदगी को भूल जाने का हमें अब इन्तेजार है 
गुजर जाएंगे काले साये भी रफ्ता रफ्ता 
अब उजालों का हमें भी इन्तेजार है .
                                   "चरण"