मर रहे हैं खप रहे हैं गम नहीं है दोस्तों ,
इतना हौसला भी कोई कम नहीं है दोस्तों .
अपने कन्धों पर उठाये घुमते हैं अपनी लाश ,
किन्तु फिर भी आँख अपनी नम नहीं है दोस्तों .
मोल भाव में न अपना वक्त यूं जाया करो ,
और होंगे बिकने वाले हम नहीं हैं दोस्तों .
दुत्कारिये मत हमपे थोडा सा भरोसा कीजिये ,
इन्सान हैं हम बेतुके मौसम नहीं हैं दोस्तों .
झेल लेंगे हर तरह की आग को तूफान को ,
मत समझना हममें इतना दम नहीं है दोस्तों .
हर जगह इच्छा बिना न हमको यूं लहराइए ,
हम तीज के त्यौहार के परचम नहीं हैं दोस्तों
"चरण"
No comments:
Post a Comment