आज अपने मन की बात कह रहा हूँ फिर न जाने वक्त हो न हो .
कविता मेरी रूह में बस्ती है
कविता मेरी सांसों में चलती है
मेरे संस्कार है कविता
मेरा आधार है कविता
अनूठा प्यार है कविता
मेरा ईमान भी कविता
मेरा भगवान भी कविता bb
मै कविता को जीता हूँ
मैं कविता को पीता हूँ
मैंने जो भी पाया है सब कविता से पाया है
कविता ने ही मुझे ऊपर उठाया है
मुझे सम्मान देती है
अधरों पर मेरे मुस्कान देती है
मेरी पत्नी भी कविता है
मेरे बच्चे भी कविता है
कभी माँ बनके आती है
पिता का प्यार देती है
मेरे संग तो मेरी कविता
सैकड़ों रिश्ते निभाती है
कभी मै टूट जाता हूँ
कभी ग़मगीन होता हूँ
कभी आँखें बरसती हैं
तो चुपके से ये आती है
गुदगुदी कर हंसाती है
कभी जब नींद में भयभीत हो
मै जाग जाता हूँ
तो मेरे पास में आकर
थपकियाँ दे कर
फिर से सुलाती है
मेरी आराधना कविता
मेरी संभावना कविता
मेरी बस एक ही इच्छा
अगर मैं प्राण त्यागूँ तो
मेरे अधरों पे कविता हो
मेरी आँखों में कविता हो
मुझे कन्धा लगाने में
मेरी अर्थी उठाने में
वही सहयोग दें यारों
जो कविता को लिखते हों
जो कविता को पढ़ते हों
मेरे अंतिम संस्कार में
कोई भी मंत्र मत पढना
बस कविता पाठ कर लेना .
"चरण"
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