इन रहबरों की जात कोई देखता नहीं
इस देश के हालात कोई देखता नहीं
हर ओर रहजनी है कतल लूट और डाके
सत्ता की यह सौगात कोई देखता नहीं
कीमत है सौ गुनी मगर आधी है मजूरी
नेताओं की औकात कोई देखता नहीं
चांदी के चंद सिक्के न देने की वजह से
वापस हुई बारात कोई देखता नहीं
अबलायें बिकती हैं दो रोटी के वास्ते
इन बुर्जुओं के हाथ कोई देखता नहीं
रोना फिजूल है तेरा अब इस जगह
तेरे दिले जज्बात कोई देखता नहीं .
"चरण"
इस देश के हालात कोई देखता नहीं
हर ओर रहजनी है कतल लूट और डाके
सत्ता की यह सौगात कोई देखता नहीं
कीमत है सौ गुनी मगर आधी है मजूरी
नेताओं की औकात कोई देखता नहीं
चांदी के चंद सिक्के न देने की वजह से
वापस हुई बारात कोई देखता नहीं
अबलायें बिकती हैं दो रोटी के वास्ते
इन बुर्जुओं के हाथ कोई देखता नहीं
रोना फिजूल है तेरा अब इस जगह
तेरे दिले जज्बात कोई देखता नहीं .
"चरण"
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