Thursday, January 5, 2012

मै जानता हूँ

सोने व चाँदी से मढ़े हुवे हाथों वाले तुम
गारे व कीचड से सने हुवे हाथों वाले हम से
क्यों दोस्ती बढा रहे हो
मैं अच्छी तरह जानता हूँ
और तुम्हारी इस बुध्धिमत्ता का
लोहा भी मानता हूँ
फलों के टोकरे
मिठाइयों के डिब्बे
जो तुम मेरे बच्चों के लिए लाते हो
शायद उनसे
मेरे घर के मासूम पहरेदारों को फुसलाते हो
तुम्हारे इस कर्म को
मै लम्बे अरसे से देख रहा हूँ
और अपनी दृष्टि
तुम्हारे अंतर के
उस पार तक फेंक रहा हूँ
मैंने हर बार देखा है
जब मेरी पत्नी की गोद में
मेरी मासूम बच्ची रोंती है
तो उसे बहलाने के बहाने
तुम आगे बढ़ते हो
किन्तु तुम्हारी द्रष्टि
मेरी पत्नी पर होती है .
               "चरण"

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