Tuesday, May 31, 2011

कोई शख्स मेरे आंसू पोंछे

है कोई शख्स मेरे आंसू पोंछे ,
थक गया हूँ यार अब रोते रोते .

पता नहीं देख कर किसका सपना ,
जाग जाता हूँ नियमित सोते सोते .

खुद को दोस दूँ या दोस दूसरों को ,
हो गए कुछ औरकुछ होते होते .

यह जमीन वास्तविक बंजर निकली ,
थक गए सम्भावना बोते बोते .

इसे संभाल कर रखना मेरे भइया,
जो बचा है अंत में खोते खोते .
                                   "चरण"

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