Thursday, December 8, 2011

दोस्ती करते हो क्यों

जो तुम्हारी क़द्र ही करता न हो
तुम उससे दोस्ती करते हो क्यों
जो तुम्हारे प्यार की गहराई न समझे
तुम उससे प्यार ही करते हो क्यों
जो तुम्हारी न सुने अपनी ही सुनाता रहे
ऐसे घमंडी शख्स पर मरते हो क्यों
तुम भी तो इंसान हो वस्तु नहीं हो
कह दो उसको साफ साफ डरते हो क्यों
झुक जाओगे इक बार तो झुकते ही रहोगे
इस तरह अन्याय को सहते हो क्यों
प्यार करते हो कोई सौदा नहीं करते
फिर उसकी शर्तों पर यहाँ बिकते हो क्यों
तुमने ही चुना था कभी इस निकम्मे दोस्त को
अब क्या हुआ यूँ छुप छुप के आहें भरते हो क्यों .
                                                  "चरण"


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