Tuesday, December 20, 2011

हुजूम

हर तरफ गलियों में सड़कों पर सवालों का हुजूम
मंजिलें मकसद नहीं ऐसे ख्यालों का हुजूम
आदमी के जहन पर इक पहराहन सा डालकर
कौम को भड़का रहा है कुछ रजालों का हुजूम
अब अँधेरे की जगह पर रौशनी के नाम पर
लोग चस्पां रहे हैं कुछ उजालों का हुजूम
जिसका जी चाहे जिसको कटारी घोंप दे
है आवामी राज में कैसी मजलों का हुजूम
हर गली हर मोड़ पर एक शोर सा कायम है अब
लोग कहते है बनेगा कल उबालों का हुजूम
ऐसी हरकत तो तारीख की जुबान पर दाग है
रहनुमाई में हो जिसकी तीर ढालों का हुजूम
बात फिर दोहराई जाएगी जमेंगी सुर्खियाँ
जब चलेगा काफिला लेकर मशालों का हुजूम
हरफ पन्नो पे नया इतिहास फिर लिखने को है
लाजिमी लगने लगा है अब हवालों का हुजूम
कल तलक जो शहर में बेमायना था आदमी
आज वो करने लगा है अपनी चालों का हुजूम .
                                                     "चरण"

No comments:

Post a Comment