Sunday, December 18, 2011

इन्सान का चेहरा

वेद का चेहरा कहीं कुरआन का चेहरा
इन्सान से छल कर गया इन्सान का चेहरा
मंदिर में सरेशाम सरेसहर बिकता है
भक्त का चेहरा कहीं भगवान का चेहरा
फिर आदमी बन आदमी को मात दे गया
साधु का चेहरा कहीं शैतान का चेहरा
जिंदगी में दोस्त अक्सर ओढ़ कर मिले
जान का चेहरा कहीं अनजान का चेहरा
जाने मुझे क्यों आंकड़ों के सब्ज बाग़ में
हर कोण से दिखता है बियाबान का चेहरा
हर शख्स खुद तलाश में गुम हो गया कहीं
पहचान से जाता रहा पहचान का चेहरा
ये सब मुखौटे है जिन्हें इन्सां समझ बैठे
तुमने चरण देखा नहीं इंसान का चेहरा .
                                           "चरण"

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