Monday, December 12, 2011

इतने भी पागल नहीं हैं

इतने भी पागल  नहीं हैं आप की बातों में आ जायें
हम तो चाहते हैं ज़माने भर पे छा जाएँ
बेच सकते हो हमें तो बेच कर देखो
फिर न कहना यदि कच्चा चबा जायें
हरकत तुम्हारी दोगली है जानते हैं हम
हो सके तो आप भी धरती पे आ जायेँ
आसान नहीं है मुल्क के बच्चों को बहकाना
हम देखते रहे और मलाई आप खा जायें
आदत है हमें देश का अनाज खाने की
कैसे विदेशी माल के झांसे में आ जायेँ
एक बार देख चुके हैं तुम्हारी चाल
क्या चाहते हो फिर से हम गुलाम हो जायें
दाल रोटी ही भली है आपके पकवान से
कृपया मत बहुत का लालच दिखायें .
                                                 "चरण" 

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