पहले फुटपाथ की हर लाश उठा ली जाये
फिर सड़क से कोई बारात निकाली जाये
सिर्फ दीवार गिराने से न होगा कुछ भी
अब तो बुनियाद की हर ईंट निकाली जाये .
कुर्सियां फुटपाथ के जज़्बात से अवगत नहीं
हर तरफ दीवार ही दीवार है कोई छत नहीं
सौंप बैठा वक्त उनको काम नवनिर्माण का
आज अपनी ही दरारों से जिन्हें फुरसत नहीं .
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