Sunday, February 19, 2012

मृत्यु गीत

जीवन से तो कुछ न पाया
अब मृत्यु का गीत ही गायें
आ मृत्यु हम तुझे सराहें
जीवन ने तो केवल हमको
धोखा ही वरदान दिया है
और हमारे सर पर झूठी
प्रतिष्ठा को तान दिया है
अब कब तक हम इसी सहारे
झूठे सच्चे संकट पाएं
आ मृत्यु हम तुझे सराहें
कुछ तो इस हद तक पाते हैं
खाते खाते बच जाता है
कुछ बेचारों का दिन यूँही
बिन खाए ही कट जाता है
शौख नहीं भूखा रहने का
भूखा रहना पड़ता है
प्राप्त नहीं भोजन होता तो
क्या बेचारे पत्थर खाएं
आ मृत्यु हम तुझे सराहें .
                       "चरण"

No comments:

Post a Comment