राजदरबार से फुटपाथ की बातें न करो
पत्थरों से कभी जजबात की बातें न करो
जहर भी सच के लिए पीलो तो कोई बात बने
सिर्फ यूँ बैठ के सुकरात की बातें न करो .
वेशभूषा पहन पुजारी की
है खड़ी शक्सियत शिकारी की
होंठ पर वेद की ऋचाएं हैं
हाथ में मूठ है कटारी की .
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