मेरे देश के महानुभावों
सावधान हो जाओ
अब मै चुप नहीं रहूँगा
सहन करने की भी कुछ हद होती है
अब पानी
सर के ऊपर से गुजर चूका है
मै सदियों से
पीड़ा दायनी अग्नि के शोलों में
छटपटाता रहा हूँ
तड़पता रहा हूँ
और तुमने मेरे दर्द को नहीं जाना
उलटे
मेरी मर्मान्तक पीड़ा पर
तालियाँ बजा
खिलखिला कर हँसते रहे
और फब्तियां कस कस कर
भोंडा सा मजाक उड़ाते रहे
मेरे आंसुओं में अपनी
फुझारियां जला जला कर
मुझे असहनीय कष्ट पहुंचाते रहे
और मैं चुपचाप खड़ा खड़ा सब कुछ सहता रहा
किन्तु अब
मैं शांत नहीं रहूँगा
माना मैंने पाप किया है
किन्तु
क्या सदियों से भोगा हुआ दुःख
इस पाप का प्रायश्चित नहीं है
जरा अपने गिरहबान में मुह डाल कर देखिये
तुम्हारे समाज में
कितने भयंकर रावण पैदा हो गए हैं
और केवल रावण ही नहीं
बल्कि
राम भी ऐसे करिश्मे दिखा रहे हैं
जिन्हें देखकर
मुझे भी शर्म आती है
मैंने तो सीता को
केवल परेशान ही किया था
यहाँ तक की मैंने तो स्पर्श तक नहीं किया
ये तो तुम खुद भी जानते हो
यदि स्पर्श किया होता
तो क्या सीता अग्नि परीक्षा में खरी उतरती
किन्तु आज
आज तो तुम्हारी नाक के नीचे
कितने ही राम और रावण
आपस में समझोता कर
एक रोटी का भुलावा देकर
सिलकियन्न सीताओ को
सरेआम
जंघाओं पर बैठा कर
बे रहमी से
उनकी बोटी बोटी
नोच खाने को उतारू हो गए हैं
और फिर
जब वही रावण
और वही राम
एक दुसरे के हाथ में हाथ डाले
किसी बड़ी सभा में आपस में मिलते हैं
तो आप धरती तक झुख कर
उन्हें नमस्कार करते है
इसलिए की आपमें
उनका विरोध करने की हिम्मत नहीं है
और अब मै
विद्रोह करके रहूँगा
अगर कानून है तो सबके लिए हो
यदि मुझे
मेरे पापों की सजा देने के लिए
जलाया जा सकता है
तो समाज में फैले
इन दुसरे रावनो में भी आग लगाओ
और न केवल रावनो में
बल्कि उस रामचंदर में भी
जो अभी थोड़े दिन पहले
उस आदिवासी घसीटा की
पत्नी सुखिया को उडा ले गया था
और बेचारे घसीटा को अयोग्य घोषित कर
रिजेक्ट कर दिया गया
अगर यह नहीं कर सकते
तो मुझे भी
हमेशा हमेशा के लिए
मुक्त कर दिया जाए
और मैं जानता हूँ
मुझे मुक्त करना तुम पसंद नहीं करोगे
क्योंकि
तुम्हारे और तुम्हारे बच्चों के मनोरजन का
एक साधन समाप्त हो जायेगा
किन्तु मी लोर्ड
कुछ भी हो
अब मैं चुप नहीं रह सकता
मेरे अंतःकरण में
विद्रोह की ज्वाला भड़क रही है
इसका
कुछ न कुछ समाधान
तो होकर ही रहेगा
"चरण"
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