Wednesday, August 3, 2011

कभी टालें ना ये हमको

  कभी टालें ना ये हमको हमारा हो तो ऐसा हो
जहाँ कह दु  वहाँ बैठे जिधर कह दून उधर चल दे बेचारा हो तो ऐसा हो
सुब उठकर के बिस्तर से ये चुल्हा ख़ुद जलाते हैं
पिलाये बैड टी मुझको कभी मुह भी धुलाते हैं
हुई तक़दीर भी रोशन सितारा हो तो ऐसा हो
अगर जाऊँ मैं ऑफिस में तो ये बच्चे खिलाते हैं
मेरी कुतिया के पिल्ले को कभी दुद्दु पिलाते हैं
हमें तो नाज़ है इनपर खटारा हो तो ऐसा हो
मेरे मित्रों के आने पर कभी गुस्सा नहीं करते
लूटा दु चाहे सब कुछ मैं मगर हैं नही भरते
मेरे जीवन कि नैया का खिवैया हो तो ऐसा हो
है आरज़ू मेरी भगवान मिले सबको पति ऐसा
रहें सब चैन से नारी करें मर्जी में हो जैसा
हमें तो नाज़ है इनपर हमारा हो तो ऐसा हो.
                                                         "चरण"
माना इस वर्तमान सरकार का पतन हो भी जाता है  जैसा कि लोगों में आम धारणा  बनती जा रही है ,तो क्या इस समय बिखरा हुआ विपक्ष इस स्थिति में है कि देश को स्वछ  स्थाई सरकार दे सके .
                                                                                                                                           "चरण"

Tuesday, August 2, 2011

भीतर से भूखा और नंगा है

भीतर से भूखा और नंगा है
बाहर सांप्रदायिक दंगा है
मन को भरमाया है हर युग में
कह कर थौति  मे गंगा है
सड़कों पर सबसे सतर्क रहो
हर शक्स बिल्ला  रंगा है
सत्य को गोली से भून दिया
कह कर के लुच्चा लफंगा है
उनको ही अकसर शक्छम देखा
आचरण जिनका दुरंगा है .
                                  "चरण"

आपके कानों में जो स्वर आ रहे हैं

आपके कानों में जो स्वर रहे  हैं
आइनो  से आइने  टकरा रहे हैं
ये स्वयम ही टूट कर बिखरेंगे एक दिन
आप और हम व्यर्थ ही घबरा रहे हैं
ये पुराने गीत हैं इनको सम्भालो
उस्ताद से कुछ धुन नई बनवा रहे  हैं  
खेद है कि आप फिर जगने लगे हैं
थहरिये कुछ स्वप्न फिर रचवा रहे हैं .
                                                "चरण"  

सेक्स मनुष्य जीवन कि अनिवार्यता है .

सेक्स मनुष्य जीवन कि अनिवार्यता है और जो इससे इनकार करते हैं वे झूठ बोलते हैं .
                                                                                                                                 "चरण"

Monday, August 1, 2011

प्रतीक पूजक

हम प्रतीक पूजक हैं
केवल प्रतीक पूजक
हम पूजते हैं देश को
प्रतीक के माध्यम से
आयु गवा देते हैं
प्रतीक कि सेवा में
और
लटका लेते हैं देश सेवक के तमगे
सीने पर
पूजते हैं आदर देते हैं
उन तमगो को
क्योकि तमगे भी प्रती ही हैं
और हम हैं केवल प्रतीक पूजक
हम पूजते हैं मूरत को
उस मूरत को
जिसे भगवान कहते है
किंतु
यदि सचमुच का भगवान जाये
तो हम उसके हाथ पाँव तोड़ देंगे
क्योंकि
हम सत्य को भी पूजते हैं
प्रतीक के ही माध्यम से
या तो
सच्चाई प्रतीक बन जाये
या
हमारी आंखों के सामने से टाल जाए
हम पूजते हैं शक्ति को
प्रतीक के माध्यम से
किंतु शक्ति का वरण नही करते
शंख घंटों की ध्वनि से
होता है उत्पन्न हममें उन्माद
और
ओझा करने सा मूड बनाते हैं
इस प्रकार शक्ति के
प्रतीक की पूजा कर
आत्म तुष्टि पाते हैं
हम पूजते हैं समरिधि को
प्रतीक के माध्यम से
भूतकाल का यशोगान करते हैं
क्योंकि
भूतकाल है हमारी सम्रिधि का प्रतीक
और वर्तमान सच्चाई
इसलिए भूत ओद्ते हैं
बिछाते है
और वर्तमान को पाऑन का
झारन बना लेते हैं
इस तरह सम्रिधि के प्रतीक को
पावन बना लेते हैं
हम देते हैं आदर
एक व्यक्ति को उसकी मिरित्यु के बाद
तब वह वह नही रह जाता
उसका प्रतीक बन जाता है
आखिर हम
मात्र प्रतीक पूजक ही तो हैं .
                                     "चरण"
एक आदमी पिछले पाँच सालों से मुझसे लगातार कह रहा है कि मैं भगवान हूँ ,पहले मैं इसपर ध्यान नही देता था ऐसे ही मजाक में उड़ा देता था किंतु अब मुझे विश्वास होने लगा है कि वह आदमी सचमुच सच बोल रहा है वही भगवान है .
                                              "चरण"