Wednesday, August 3, 2011

कभी टालें ना ये हमको

  कभी टालें ना ये हमको हमारा हो तो ऐसा हो
जहाँ कह दु  वहाँ बैठे जिधर कह दून उधर चल दे बेचारा हो तो ऐसा हो
सुब उठकर के बिस्तर से ये चुल्हा ख़ुद जलाते हैं
पिलाये बैड टी मुझको कभी मुह भी धुलाते हैं
हुई तक़दीर भी रोशन सितारा हो तो ऐसा हो
अगर जाऊँ मैं ऑफिस में तो ये बच्चे खिलाते हैं
मेरी कुतिया के पिल्ले को कभी दुद्दु पिलाते हैं
हमें तो नाज़ है इनपर खटारा हो तो ऐसा हो
मेरे मित्रों के आने पर कभी गुस्सा नहीं करते
लूटा दु चाहे सब कुछ मैं मगर हैं नही भरते
मेरे जीवन कि नैया का खिवैया हो तो ऐसा हो
है आरज़ू मेरी भगवान मिले सबको पति ऐसा
रहें सब चैन से नारी करें मर्जी में हो जैसा
हमें तो नाज़ है इनपर हमारा हो तो ऐसा हो.
                                                         "चरण"

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