दिल्ली के इंडिया गेट पर
भारत कि जनता के पेट पर
एक आदमी
हाथ में भोम्पु ले चिल्ला रहा था
चिल्ला चिल्ला कर अपने चारों ओर
मजमा लगा रहा था
हमारे कान में भी पड़े उसके मधुर स्वर
चल गया चल गया चल गया
हम ठहर गए लगे सोचने
यह क्या चल गया
दश हजार का नोट चल गया
या नाबालिग का वोट चल गया
या नए फैशन का कोट चल गया
इससे तसल्ली नही हुयी
नजदीक जाकर उसी से पूछा
अरे भाई क्या चल गया
उसने
हमारे कान के पास
मुँह लाकर कहा
धीरे बोलो शोर मत करो
संसद में जूता चल गया
यह सुनना था
कि हमारा भी कलेजा हिल गया
ना जाने कितनी देर तक
खड़े रहे जड़वत
फिर उसी ने झिंझोदा
हुजुर कहाँ खो गए
या हमारी बात सुनकर सो गए
हम फिर चोंके
उन्होंने कहा चोंकिये मत
यह तो एक दिन होना ही था
हम कुछ सम्भ्ले
सम्भल्कर पूछा
किंतु इससे आपको क्या लाभ हुआ
उसने कहा
मेरी किस्मत का फाटक खुल गया है
मैं बेरोजगार था
अब रोजगार मिल गया है
संसद से सारे जूते बटोर लाया हूँ
सन् 78 का इतिहास संभाल लाया हूँ
अब धूम धाम से ये जूते बेचुंगा
सेटों कि जेबों से काला धन खेंचुंगा
हमने पूछा
एक जूते कि कीमत कितनी है
उसने कहा
सबसे सस्ता जूता पाँच हजार एक का है
पाँच हजार एक का
बड़ा महँगा है हमारे मुँह से निकला
जनाब इसे आप महँगा कहते हैं
अरे
ये कोइ ऐरे गैरे नथु खैरे के जूते नहीं है
बड़े बड़े मिनेस्तरॉन के जूते हैं
जितना बड़ा मिनिस्स्तर
उतना बड़ा जूता
जितना बड़ा जूता
उतनी बड़ी कीमत
भीतर आकर देखिये
यह जूता गुजरात का है
यह जूता महारस्ता का है
यह जूता उत्तर प्रदेश का है
यह जूता मद्रास का है
यह केरल का है
यह बंगाल का है
यह उड़ीसा का है
यह बिहार का है
यह पंजाब का है
यह राजस्थान का है
और यह रहा हरियाणा का
साहेबान
एक से बाड़कर एक जूता है
इन्हीं जूतों ने जनता का दिल जीता है
अब बताइये
आपको कौनसा जूता पसंद है
वही बंधवा देता हूँ
आपकी गाड़ी में रखवा देता हूँ
या आपके सिर पर लदवा देता हूँ
हमने कहा
सो तो ठीक है
किंतु
क्या दाम कुछ कम नहीं हो सकते
यह सुनना था
वे हम पर बिगाड़ने लगे
गुर्राने लगे
गुर्राहट के साथ चिल्लाने लगे
मिस्तेर
लगता है जीवन में कभी
जूतों से वास्ता नहीं पड़ा
इसलिए जूतों कि पहचान नही है
अरे
यह तो हम
देश कि मर्यादा निभा रहे हैं
जो देश के जूते देश में ही चला रहे हैं
वरना विदेशों में
एक एक जूता
एक एक करोड़ का बिक सकता है
उसकी बात सुनकर हमें बड़ी शर्म लगी
हमारी सोई हुई मर्यादा जगी
फिर भी पूछ बैठे
किंतु
यह तो केवल एक पाओ का जूता है
इसे लेकर क्या करेंगे
जोड़ा कहाँ से लायेंगे
उसने कहा
अभी एक जूता ले जाइए
फ्रेम करके घर में लगाइये
जब दुबारा संसद में जूते चलेंगे
तब अविलंब
वपिस हमारे पास आइए
और अपने जूते का जोड़ा मिलाइये .
"चरण"
Monday, July 11, 2011
Sunday, July 10, 2011
जिंदगी--एक अंतहीन बहस
जिंदगी हमको कभी हलकी कभी भारी लगी
जिंदगी हमको कभी जीती कभी हारी लगी
दूर से हमको लगी यह सुरमई आकाश सी
और देखा पास से तो बहुत बेचारी लगी
चिलचिलाती धूप में दिनभर खड़ी तपती रही
और धल्ती शाम के संग बहुत ही प्यारी लगी
हर कथा में जिंदगी मौजूद है साथी मेरे
इस कथा से उस कथा में जिंदगी नियारी लगी
संत कहते हैं कि यह तो मात्र एक एहसास है
किंतु मुझको जिंदगी अक्सर ही देह्धारि लगी
इसके असली स्वाद का अब तक नही पता
जिंदगी हमको कभी मीठी कभी खारी लगी
इंसानियत के कत्घरे में जब इसे हाजिर किया
यह अनोखी अन्हीन बहस सी जारी जारी लगी .
"चरण"
{2}
सबके चश्मे बदल जायेंगे धीरे धीरे
सब उसी राह पर आ जायेंगे धीरे धीरे
कुछ विनाश कर गए पहले वाले
शेस ये कर जायेंगे धीरे धीरे
साम्प के काटे को हम बचा लेंगे
इनके काटे हुए मर जायेंगे धीरे धीरे
इनसे कुछ दूर से ही बात करना
आपके आँगन में पसर जायेंगे धीरे धीरे
मत उदास हो मन हौसला रख
ये दिन भी गुजर जायेंगे धीरे धीरे .
"चरण"
जिंदगी हमको कभी जीती कभी हारी लगी
दूर से हमको लगी यह सुरमई आकाश सी
और देखा पास से तो बहुत बेचारी लगी
चिलचिलाती धूप में दिनभर खड़ी तपती रही
और धल्ती शाम के संग बहुत ही प्यारी लगी
हर कथा में जिंदगी मौजूद है साथी मेरे
इस कथा से उस कथा में जिंदगी नियारी लगी
संत कहते हैं कि यह तो मात्र एक एहसास है
किंतु मुझको जिंदगी अक्सर ही देह्धारि लगी
इसके असली स्वाद का अब तक नही पता
जिंदगी हमको कभी मीठी कभी खारी लगी
इंसानियत के कत्घरे में जब इसे हाजिर किया
यह अनोखी अन्हीन बहस सी जारी जारी लगी .
"चरण"
{2}
सबके चश्मे बदल जायेंगे धीरे धीरे
सब उसी राह पर आ जायेंगे धीरे धीरे
कुछ विनाश कर गए पहले वाले
शेस ये कर जायेंगे धीरे धीरे
साम्प के काटे को हम बचा लेंगे
इनके काटे हुए मर जायेंगे धीरे धीरे
इनसे कुछ दूर से ही बात करना
आपके आँगन में पसर जायेंगे धीरे धीरे
मत उदास हो मन हौसला रख
ये दिन भी गुजर जायेंगे धीरे धीरे .
"चरण"
Saturday, July 9, 2011
मिनिस्टर का लेटर
आजकल हर छेत्र में
उनकी कन्डीशन बेटेर है
जिनकी जेब में मिनिस्टर का लेटर है
इंटेरविउ में जाइए
भीड़ को इधर उधर हटाइए
बीच में रास्ता बनाइए
झटपट अंदर घुस जाइए
मिनिस्टर का लेटर दिखाइए
चेयरमेन कुर्सी से उछाल पड़ेगा
आपके चरण कमलों में आकर गिरेगा
सम्मान पूर्वक बैठाएगा
मौसम के अनुसार
ठंडा या गर्म पिलाएगा
हज़ारों योग्य व्यक्तियों के होते हुए भी
आपका चयन कर
अपने भाग्या को सराहेगा.
आप शहर में रहते हैं
जनता सौचालये के सामने
लंबी लाइन लगी है
आप
लाइन को चीरते हुए
आगे निकल जाइए
जेब से लेटर निकालकर
आसपास वालों को दिखाइए
मुस्कुराकर भीतर घुस जाइए
जितनी देर चाहे लगाइए
इतमीनान से बाहर आइए
आपसे कोई कुछ नही पूछेगा
मिसटर यह क्या मेटर है
क्योकि
आपके पास
मिनिस्टर का लेटर है.
आप आशिक मिज़ाज़ हैं
राह चलती
किसी सभ्या महिला को च्छेड़िए
पोलीस में आपकी रिपोर्ट दर्ज होगी
आप धीरे से लेटर का कोना ऊपर उठाइए
थानेदार का ध्यान उधर दिलाइए
वे तत्काल ही चौंकने लगेंगे
आसपास वालों पर भोंकने लगेंगे
बेवकुफों
यह जो चाहें कर सकते हैं
यह इनका पर्सनल मेटर है
देखते नहीं इनके पास मिनिस्टर का लेटर है.
आप बस में जाइए या ट्रेन में जाइए
बैठे हुए आदमी को ज़बरदस्ती उठाइए
उसके स्थान पर स्वयं ज़म जाइए
आसपास वालों की ओर देख कर
अपनी विजय पर मंद मंद मुस्काई ये
कंडेक्टर कुछ कहे तो रोब जमाइए
एहसास दिलाइए
की आपकी कन्डीशन उससे बेटेर है
क्योकि आपके पास मिनिस्टर का लेटर है.
"चरण"
उनकी कन्डीशन बेटेर है
जिनकी जेब में मिनिस्टर का लेटर है
इंटेरविउ में जाइए
भीड़ को इधर उधर हटाइए
बीच में रास्ता बनाइए
झटपट अंदर घुस जाइए
मिनिस्टर का लेटर दिखाइए
चेयरमेन कुर्सी से उछाल पड़ेगा
आपके चरण कमलों में आकर गिरेगा
सम्मान पूर्वक बैठाएगा
मौसम के अनुसार
ठंडा या गर्म पिलाएगा
हज़ारों योग्य व्यक्तियों के होते हुए भी
आपका चयन कर
अपने भाग्या को सराहेगा.
आप शहर में रहते हैं
जनता सौचालये के सामने
लंबी लाइन लगी है
आप
लाइन को चीरते हुए
आगे निकल जाइए
जेब से लेटर निकालकर
आसपास वालों को दिखाइए
मुस्कुराकर भीतर घुस जाइए
जितनी देर चाहे लगाइए
इतमीनान से बाहर आइए
आपसे कोई कुछ नही पूछेगा
मिसटर यह क्या मेटर है
क्योकि
आपके पास
मिनिस्टर का लेटर है.
आप आशिक मिज़ाज़ हैं
राह चलती
किसी सभ्या महिला को च्छेड़िए
पोलीस में आपकी रिपोर्ट दर्ज होगी
आप धीरे से लेटर का कोना ऊपर उठाइए
थानेदार का ध्यान उधर दिलाइए
वे तत्काल ही चौंकने लगेंगे
आसपास वालों पर भोंकने लगेंगे
बेवकुफों
यह जो चाहें कर सकते हैं
यह इनका पर्सनल मेटर है
देखते नहीं इनके पास मिनिस्टर का लेटर है.
आप बस में जाइए या ट्रेन में जाइए
बैठे हुए आदमी को ज़बरदस्ती उठाइए
उसके स्थान पर स्वयं ज़म जाइए
आसपास वालों की ओर देख कर
अपनी विजय पर मंद मंद मुस्काई ये
कंडेक्टर कुछ कहे तो रोब जमाइए
एहसास दिलाइए
की आपकी कन्डीशन उससे बेटेर है
क्योकि आपके पास मिनिस्टर का लेटर है.
"चरण"
Wednesday, July 6, 2011
अधरों पर जड़ दिए विराम
अधरों पर जड़ दिए विराम
देखें क्या होगा अंजाम
दिल की हर एक धड़कन पर
दरबारी पहरे लगे
भावों को कर दिया शिथिल
घाव कुछ गहरे दिए
स्वांसों को कर लिया गुलाम
देखें क्या होगा अंजाम
हाथों में अब हथकड़ी
पैरों में बेडी पड़ी
थोप रहे झूठे इल्जाम
देखें क्या होगा अंजाम
शब्दों को काट छांट कर
परिचय संछिपत कर दिए
इंसानी आत्म बोध के
सारे चिन्ह लुप्त कर दिए
लेखनी को दे दिया विश्राम
देखें क्या होगा अंजाम
अधरों पर -----------.
"चरण"
Tuesday, July 5, 2011
गाँव के दो चित्र
सुबह
________
बहुत याद आती है
मुंडेरों से उतरती हुयी
धुधिया सी धूप
आँगन में बुझा हुआ
रात का अलाव
अधनंगे बच्चों का
पास में जमाव
बहुत याद आते हैं
कुहराए खेत
खेतों में रुका हुआ
ओस कण काफिला
अनिश्चित जीवन का
तय करता फासला
बहुत याद आती है
उपलों पे सिकी हुयी
कुर्राती
बाजरे की रोटियां
रोटियों पर घुटा हुआ
सरसों का साग
यादों का मृगछोना
गया दूर भाग .
-------------------------
शाम
__________
बहुत याद आती है
सरसों के खेतों में
चहक रही शाम
जैसे की मधुवन में
बांसुरी की तान छेड़े
मडराते फिरते हों
राधा के श्याम
बहुत याद आते हैं
जंगल से लौट रहे
पशुओं के झुण्ड
शायद विधाता ने
यहीं कहीं
गाड़ दिया
अमृत का कुण्ड.
-------------------
शर्दियों का गीत
________________
आशिकों की महफिलों में
ज्यों प्रसंशा रूप की
गाँव की चोपाल में
यूँ सर्दियों की धूप की
खिड़कियाँ खुलने लगी
सब द्वारपट खुलने लगे
सुन सुरीली बांसुरी
इन शर्दियों की धूप की
ओसकण भयभीत हो
आकाश पर चढ़ने लगे
देख कर जादूगरी
इन शर्दियों की धूप की .
"चरण"
________
बहुत याद आती है
मुंडेरों से उतरती हुयी
धुधिया सी धूप
आँगन में बुझा हुआ
रात का अलाव
अधनंगे बच्चों का
पास में जमाव
बहुत याद आते हैं
कुहराए खेत
खेतों में रुका हुआ
ओस कण काफिला
अनिश्चित जीवन का
तय करता फासला
बहुत याद आती है
उपलों पे सिकी हुयी
कुर्राती
बाजरे की रोटियां
रोटियों पर घुटा हुआ
सरसों का साग
यादों का मृगछोना
गया दूर भाग .
-------------------------
शाम
__________
बहुत याद आती है
सरसों के खेतों में
चहक रही शाम
जैसे की मधुवन में
बांसुरी की तान छेड़े
मडराते फिरते हों
राधा के श्याम
बहुत याद आते हैं
जंगल से लौट रहे
पशुओं के झुण्ड
शायद विधाता ने
यहीं कहीं
गाड़ दिया
अमृत का कुण्ड.
-------------------
शर्दियों का गीत
________________
आशिकों की महफिलों में
ज्यों प्रसंशा रूप की
गाँव की चोपाल में
यूँ सर्दियों की धूप की
खिड़कियाँ खुलने लगी
सब द्वारपट खुलने लगे
सुन सुरीली बांसुरी
इन शर्दियों की धूप की
ओसकण भयभीत हो
आकाश पर चढ़ने लगे
देख कर जादूगरी
इन शर्दियों की धूप की .
"चरण"
Sunday, July 3, 2011
एक गीत (दीपावली के नाम)
आँचल की ओट किये
अंजुरी में दीप लिए
मेरे गांवन की गोरी
मन में उल्लास भरे ,
कुछ ऐसा लगता है
आकाश धरा पर है
नव चेतन नव जीवन
विश्वास धरा पर है
गदराये अधरों पर
चंचल मधुमास लिए
मेरे गांवन की गोरी
मन में उल्लास भरे ,आँचल की -----------
संध्या मतवारी ने
दीपक आलोकित कर
फैलादी है जग में
उजियारे की चादर
कजरारे नयनों में
सारा इतिहास लिए
मेरे गांवन की गोरी
मन में उल्लास भरे ,आँचल की -----------
छज्जे मुंडेरों पर
संदीपों की पांति
लौ बढ़ती जाती है
मीनारों की भांति
परदेसी प्रीतम से
मिलने की आस लिए
मेरे गांवन की गोरी
मन में उल्लास भरे. आँचल की ------------.
"चरण"
अंजुरी में दीप लिए
मेरे गांवन की गोरी
मन में उल्लास भरे ,
कुछ ऐसा लगता है
आकाश धरा पर है
नव चेतन नव जीवन
विश्वास धरा पर है
गदराये अधरों पर
चंचल मधुमास लिए
मेरे गांवन की गोरी
मन में उल्लास भरे ,आँचल की -----------
संध्या मतवारी ने
दीपक आलोकित कर
फैलादी है जग में
उजियारे की चादर
कजरारे नयनों में
सारा इतिहास लिए
मेरे गांवन की गोरी
मन में उल्लास भरे ,आँचल की -----------
छज्जे मुंडेरों पर
संदीपों की पांति
लौ बढ़ती जाती है
मीनारों की भांति
परदेसी प्रीतम से
मिलने की आस लिए
मेरे गांवन की गोरी
मन में उल्लास भरे. आँचल की ------------.
"चरण"
Friday, July 1, 2011
आदमी
सूर्य को निगल रहा है आदमी
चाँद को भी पी रहा है आदमी
मौत को रुला रहा है आदमी
जिन्दगी का नाम भी है आदमी
हर कठोर सत्य है यह आदमी
हर सवाल का जवाब आदमी
हर मुकाम पर खडा है आदमी
हर घडी बदल रहा है आदमी
आग है तूफ़ान है यह आदमी
खतरे का निशान है यह आदमी
विश्व का समस्त ज्ञान आदमी
चाँद को भी पी रहा है आदमी
मौत को रुला रहा है आदमी
जिन्दगी का नाम भी है आदमी
हर कठोर सत्य है यह आदमी
हर सवाल का जवाब आदमी
हर मुकाम पर खडा है आदमी
हर घडी बदल रहा है आदमी
आग है तूफ़ान है यह आदमी
खतरे का निशान है यह आदमी
विश्व का समस्त ज्ञान आदमी
सृष्टी में महान नाम आदमी
आज क्यों मचल रहा है आदमी
भीड़ में फिसल रहा है आदमी
गिर के फिर संभल रहा है आदमी
किस दिशा में चल रहा है आदमी
टूट कर बिखर रहा है आदमी
अपनी ही तलाश में है आदमी
आज क्यों पिघल रहा है आदमी
क्या कहूँ ,यह बर्फ है या आदमी .
"चरण"
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