Friday, July 1, 2011

आदमी

सूर्य को निगल रहा है आदमी
चाँद को भी पी रहा है आदमी
मौत को रुला रहा है आदमी
जिन्दगी का नाम भी है आदमी
हर कठोर सत्य है यह आदमी
हर सवाल का जवाब आदमी
हर मुकाम पर खडा है आदमी
हर घडी बदल रहा है आदमी
आग है तूफ़ान है यह आदमी
खतरे का निशान  है यह आदमी
विश्व का समस्त ज्ञान आदमी
सृष्टी में महान नाम आदमी
आज क्यों मचल रहा है आदमी
भीड़ में फिसल रहा है आदमी
गिर के फिर संभल रहा है आदमी
किस दिशा में चल रहा है आदमी
टूट कर बिखर रहा है आदमी
अपनी ही तलाश में है आदमी
आज क्यों पिघल रहा है आदमी
क्या कहूँ ,यह बर्फ है या आदमी .
                                         "चरण"

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