Saturday, December 17, 2011

फाईलों में

काली करतूतें हैं यानी फाईलों में
जब्त है ऐसी कहानी फाईलों में
बाबुओं की तोंद फलती फूलती
हो रही है बागवानी फाईलों में
एक बार फंस गया जो आदमी
गल गयी उसकी जवानी फाईलों में 
खेत तो सूखे पड़े हैं देखिये
लग रहा है आज पानी फाईलों में
एक मछली है तड़पती रेत पर
हर प्रगति हिन्दुस्तानी फाईलों में
                                  "चरण"

Monday, December 12, 2011

इतने भी पागल नहीं हैं

इतने भी पागल  नहीं हैं आप की बातों में आ जायें
हम तो चाहते हैं ज़माने भर पे छा जाएँ
बेच सकते हो हमें तो बेच कर देखो
फिर न कहना यदि कच्चा चबा जायें
हरकत तुम्हारी दोगली है जानते हैं हम
हो सके तो आप भी धरती पे आ जायेँ
आसान नहीं है मुल्क के बच्चों को बहकाना
हम देखते रहे और मलाई आप खा जायें
आदत है हमें देश का अनाज खाने की
कैसे विदेशी माल के झांसे में आ जायेँ
एक बार देख चुके हैं तुम्हारी चाल
क्या चाहते हो फिर से हम गुलाम हो जायें
दाल रोटी ही भली है आपके पकवान से
कृपया मत बहुत का लालच दिखायें .
                                                 "चरण" 

Thursday, December 8, 2011

दोस्ती करते हो क्यों

जो तुम्हारी क़द्र ही करता न हो
तुम उससे दोस्ती करते हो क्यों
जो तुम्हारे प्यार की गहराई न समझे
तुम उससे प्यार ही करते हो क्यों
जो तुम्हारी न सुने अपनी ही सुनाता रहे
ऐसे घमंडी शख्स पर मरते हो क्यों
तुम भी तो इंसान हो वस्तु नहीं हो
कह दो उसको साफ साफ डरते हो क्यों
झुक जाओगे इक बार तो झुकते ही रहोगे
इस तरह अन्याय को सहते हो क्यों
प्यार करते हो कोई सौदा नहीं करते
फिर उसकी शर्तों पर यहाँ बिकते हो क्यों
तुमने ही चुना था कभी इस निकम्मे दोस्त को
अब क्या हुआ यूँ छुप छुप के आहें भरते हो क्यों .
                                                  "चरण"


Wednesday, December 7, 2011

जब से मेरी आँखों में जाला पड़ गया

जब से मेरी आँखों में जाला पड़ गया
सच मानिये दिल का उजाला बढ़ गया
अब नजर आता है मुझको साफ़ साफ़
क्यों खडी फसल पे पाला पड़ गया
आँख रहते सच नजर आता नहीं था
मेरा वजूद किस नहर में सड़ गया
क़त्ल करते हुए देखा था अपनी आँख से
फिर भी वह तो झूठ पर ही अड़ गया
चुप चाप देखता रहा अपराध बढ़ता ही रहा
सांसदों का काफिला कुछ और आगे बढ़ गया
क्या खिलाएं अपने बच्चों को यहाँ पर अब
हर चीज का मिजाज़ देखो आसमा पर चढ़ गया
बे खौफ घूमता था मैं सड़कों पर सीना तान
घबरा रहा हूँ जबसे मेरा सच से पाला पड़ गया
                                                   "चरण"

Sunday, December 4, 2011

मुझे बस प्यार चाहिए

मै प्यार की  भाषा  समझता हूँ मुझे बस प्यार चाहिए
प्यार कर सको तो करो बस यही उपकार चाहिए
कोई दौलत कमाता है कोई शौहरत कमाता है मुझे मतलब नहीं इनसे
मुझे इन सबके बदले में जरा सा प्यार चाहिए
दुनिया मुझे जीने नहीं देगी और मै मरना नहीं चाहता
जीने के वास्ते तनिक सा प्यार चाहिए
मुझे जिन्दा जला डालो या सूली पर चढ़ा दो यार
जर्रे जर्रे से यही आवाज आएगी मुझे बस प्यार चाहिए .
                                                                    "चरण"

Saturday, December 3, 2011

एक रोटी का सव

मरे हुए शरीर को घसीटती हुयी
रेगिस्तान बन गयी छातियों पर
अधमरे बच्चे को
चिपकाये हुए
एक नारी आत्मा
मेरे दरवाजे पर आ खडी हुयी
और
मूक फिल्मो की भांति
होंठ फरफराने लगी
जिसका आशय
रात की बची
एक बासी रोटी से था
मैंने जुबान पर
गोखरू उगा कर कहा
माँ
रोटी तो मेरे पास नहीं है
किन्तु
आज ही
रोटी पर ----मैंने
एक बड़ी सशक्त
कविता लिखी है
चाहो तो
पढ़कर सुना दूँ .
               "चरण"

Friday, December 2, 2011

मैं दोस्ती करता हूँ निभाने के वास्ते

मैं  दोस्ती  करता  हूँ निभाने के वास्ते
खोया हुआ विश्वाश जगाने के वास्ते
दिल से तुम्हारे दूर मै जाता नहीं कभी
जाता भी हूँ तो लौट कर आने के वास्ते
शायद तुम्हारे प्यार में पगला गया हूँ मै
खोना तो पड़ता है मगर पाने के वास्ते
आदत नहीं है मुझको कडवे बीज बोने की
मै फल उगाता हूँ तेरे खाने के वास्ते
तुम्हारे प्रेम से प्रेरित मै सुंदर गीत लिखता हूँ
कभी एकांत में तुमको ही सुनाने के वास्ते
सवाल मेरी दोस्ती पर मत खड़ा  करना
पैदा हुआ हूँ साथ निभाने के वास्ते
                                   "चरण"