Thursday, October 6, 2011

रावण का विद्रोह

मेरे देश के महानुभावों 
सावधान हो जाओ 
अब मै चुप नहीं रहूँगा 
सहन करने की भी कुछ हद होती है 
अब पानी 
सर के ऊपर से गुजर चूका है 
मै सदियों से 
पीड़ा  दायनी अग्नि के शोलों में 
छटपटाता रहा हूँ 
तड़पता रहा हूँ 
और तुमने मेरे दर्द को नहीं जाना 
उलटे 
मेरी मर्मान्तक पीड़ा पर 
तालियाँ बजा 
खिलखिला कर हँसते रहे 
और फब्तियां कस कस कर 
भोंडा सा मजाक उड़ाते रहे 
मेरे आंसुओं में अपनी 
फुझारियां जला जला कर 
मुझे असहनीय कष्ट पहुंचाते रहे 
और मैं चुपचाप खड़ा खड़ा सब कुछ सहता   रहा 
किन्तु अब 
मैं शांत नहीं रहूँगा 
माना मैंने पाप किया है 
किन्तु 
क्या सदियों से भोगा हुआ दुःख 
इस पाप का प्रायश्चित नहीं है 
जरा अपने गिरहबान में मुह डाल कर देखिये 
तुम्हारे समाज में 
कितने भयंकर रावण पैदा हो गए हैं 
और केवल रावण ही नहीं 
बल्कि 
राम भी ऐसे करिश्मे दिखा रहे हैं 
जिन्हें देखकर 
मुझे भी शर्म आती है 
मैंने तो सीता को  
केवल परेशान ही किया था 
यहाँ तक की मैंने तो स्पर्श तक नहीं किया 
ये तो तुम खुद भी जानते हो 
यदि स्पर्श किया होता 
तो क्या सीता अग्नि परीक्षा में खरी उतरती 
किन्तु आज 
आज तो तुम्हारी नाक के नीचे 
कितने ही राम और रावण 
आपस में समझोता कर 
एक रोटी का भुलावा देकर  
सिलकियन्न सीताओ को 
सरेआम 
जंघाओं पर बैठा कर 
बे रहमी से  
उनकी बोटी बोटी 
नोच खाने को उतारू हो गए हैं 
और फिर 
जब वही रावण 
और वही राम 
एक दुसरे के हाथ में हाथ डाले 
किसी बड़ी सभा में आपस में मिलते हैं 
तो आप धरती तक झुख कर 
उन्हें नमस्कार करते है
इसलिए की आपमें 
उनका विरोध करने की हिम्मत नहीं है 
और अब मै 
विद्रोह करके रहूँगा  
अगर कानून है तो सबके लिए हो 
यदि मुझे 
मेरे पापों की सजा देने के लिए 
जलाया जा सकता है 
तो समाज में फैले 
इन दुसरे रावनो में भी आग लगाओ 
और न केवल रावनो में 
बल्कि उस रामचंदर में भी 
जो अभी थोड़े दिन पहले 
उस आदिवासी घसीटा की 
पत्नी सुखिया को उडा ले गया था 
और बेचारे घसीटा को अयोग्य घोषित कर 
रिजेक्ट कर दिया गया 
अगर यह नहीं कर सकते 
तो मुझे भी 
हमेशा हमेशा के लिए 
मुक्त कर दिया जाए 
और मैं जानता हूँ 
मुझे मुक्त करना तुम पसंद नहीं करोगे 
क्योंकि 
तुम्हारे और तुम्हारे बच्चों के मनोरजन का 
एक साधन समाप्त हो जायेगा 
किन्तु मी लोर्ड 
कुछ भी हो 
अब मैं चुप नहीं रह सकता 
मेरे अंतःकरण में 
विद्रोह की ज्वाला भड़क रही है 
इसका 
कुछ न कुछ समाधान 
तो होकर ही रहेगा 
 
                        "चरण"









  

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