Friday, December 23, 2011

सारी खुशियाँ बाँट आया हूँ

जिंदगी की सारी खुशियाँ बाँट आया हूँ
साथ में बस एक नया एहसास लाया हूँ
जीने के लिए एक सहारे की जरुरत है
वह सहारा भी अब मै ढूंढ़ लाया हूँ
मुझको नहीं मालूम अब कैसे कटेंगे दिन
जिंदगी से बहुत दूर भाग आया हूँ
उसके दामन से सभी कांटे बटोर कर
अपने सुखों की गठरी उसे सौंप आया हूँ
देख सकता था नहीं मै उसकी तन्हाई
अब उसी के हाल पर मै छोड़ आया हूँ
खुदा हाफिज़ कहा और मै निकल आया
दोस्तों पर दिल वहीँ पर छोड़ आया हूँ
                                    "चरण"


Tuesday, December 20, 2011

हुजूम

हर तरफ गलियों में सड़कों पर सवालों का हुजूम
मंजिलें मकसद नहीं ऐसे ख्यालों का हुजूम
आदमी के जहन पर इक पहराहन सा डालकर
कौम को भड़का रहा है कुछ रजालों का हुजूम
अब अँधेरे की जगह पर रौशनी के नाम पर
लोग चस्पां रहे हैं कुछ उजालों का हुजूम
जिसका जी चाहे जिसको कटारी घोंप दे
है आवामी राज में कैसी मजलों का हुजूम
हर गली हर मोड़ पर एक शोर सा कायम है अब
लोग कहते है बनेगा कल उबालों का हुजूम
ऐसी हरकत तो तारीख की जुबान पर दाग है
रहनुमाई में हो जिसकी तीर ढालों का हुजूम
बात फिर दोहराई जाएगी जमेंगी सुर्खियाँ
जब चलेगा काफिला लेकर मशालों का हुजूम
हरफ पन्नो पे नया इतिहास फिर लिखने को है
लाजिमी लगने लगा है अब हवालों का हुजूम
कल तलक जो शहर में बेमायना था आदमी
आज वो करने लगा है अपनी चालों का हुजूम .
                                                     "चरण"

Monday, December 19, 2011

desh कोई देखता नहीं

इन रहबरों की जात कोई देखता नहीं
इस देश के हालात कोई देखता नहीं
हर ओर रहजनी है कतल लूट और डाके
सत्ता की यह सौगात कोई देखता नहीं
कीमत है सौ गुनी मगर आधी है मजूरी
नेताओं की औकात कोई देखता नहीं
चांदी के चंद सिक्के न देने की वजह से
वापस हुई बारात कोई देखता नहीं
अबलायें बिकती हैं दो रोटी के वास्ते
इन बुर्जुओं के हाथ कोई देखता नहीं
रोना फिजूल है तेरा अब इस जगह
तेरे दिले जज्बात कोई देखता नहीं .
                                  "चरण" 

Sunday, December 18, 2011

इन्सान का चेहरा

वेद का चेहरा कहीं कुरआन का चेहरा
इन्सान से छल कर गया इन्सान का चेहरा
मंदिर में सरेशाम सरेसहर बिकता है
भक्त का चेहरा कहीं भगवान का चेहरा
फिर आदमी बन आदमी को मात दे गया
साधु का चेहरा कहीं शैतान का चेहरा
जिंदगी में दोस्त अक्सर ओढ़ कर मिले
जान का चेहरा कहीं अनजान का चेहरा
जाने मुझे क्यों आंकड़ों के सब्ज बाग़ में
हर कोण से दिखता है बियाबान का चेहरा
हर शख्स खुद तलाश में गुम हो गया कहीं
पहचान से जाता रहा पहचान का चेहरा
ये सब मुखौटे है जिन्हें इन्सां समझ बैठे
तुमने चरण देखा नहीं इंसान का चेहरा .
                                           "चरण"

Saturday, December 17, 2011

फाईलों में

काली करतूतें हैं यानी फाईलों में
जब्त है ऐसी कहानी फाईलों में
बाबुओं की तोंद फलती फूलती
हो रही है बागवानी फाईलों में
एक बार फंस गया जो आदमी
गल गयी उसकी जवानी फाईलों में 
खेत तो सूखे पड़े हैं देखिये
लग रहा है आज पानी फाईलों में
एक मछली है तड़पती रेत पर
हर प्रगति हिन्दुस्तानी फाईलों में
                                  "चरण"

Monday, December 12, 2011

इतने भी पागल नहीं हैं

इतने भी पागल  नहीं हैं आप की बातों में आ जायें
हम तो चाहते हैं ज़माने भर पे छा जाएँ
बेच सकते हो हमें तो बेच कर देखो
फिर न कहना यदि कच्चा चबा जायें
हरकत तुम्हारी दोगली है जानते हैं हम
हो सके तो आप भी धरती पे आ जायेँ
आसान नहीं है मुल्क के बच्चों को बहकाना
हम देखते रहे और मलाई आप खा जायें
आदत है हमें देश का अनाज खाने की
कैसे विदेशी माल के झांसे में आ जायेँ
एक बार देख चुके हैं तुम्हारी चाल
क्या चाहते हो फिर से हम गुलाम हो जायें
दाल रोटी ही भली है आपके पकवान से
कृपया मत बहुत का लालच दिखायें .
                                                 "चरण" 

Thursday, December 8, 2011

दोस्ती करते हो क्यों

जो तुम्हारी क़द्र ही करता न हो
तुम उससे दोस्ती करते हो क्यों
जो तुम्हारे प्यार की गहराई न समझे
तुम उससे प्यार ही करते हो क्यों
जो तुम्हारी न सुने अपनी ही सुनाता रहे
ऐसे घमंडी शख्स पर मरते हो क्यों
तुम भी तो इंसान हो वस्तु नहीं हो
कह दो उसको साफ साफ डरते हो क्यों
झुक जाओगे इक बार तो झुकते ही रहोगे
इस तरह अन्याय को सहते हो क्यों
प्यार करते हो कोई सौदा नहीं करते
फिर उसकी शर्तों पर यहाँ बिकते हो क्यों
तुमने ही चुना था कभी इस निकम्मे दोस्त को
अब क्या हुआ यूँ छुप छुप के आहें भरते हो क्यों .
                                                  "चरण"