Sunday, November 6, 2011

चाँद के हाथ में हथौड़ा

मैंने 
चाँद के हाथ में 
हथोडा देखा 
जो तपे हुए 
लाल सुर्ख लोहे को 
बे रहमी से कूट रहा था 
लोहे ने हार मान ली 
उसका रंग काला पड़ गया 
लोहा सूरज बन गया 
चाँद के हथोडों की मार से 
दूर 
पहाड़ी की ओट में छुप गया 
आश्चर्य 
घोर आश्चर्य 
चाँद के नाजुक हाथ में हथोडा 
लोहे की कठोरता को पीटता 
सूरज को छितिज तक घसीटता 
मैंने मुट्ठी खोलकर देखी 
छाले उठ आये 
आँख मिली आंसू भर आये 
                             "चरण"

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