Wednesday, November 23, 2011

कभी कभी ऐसा भी होता है

कभी कभी ऐसा भी होता है
मै गहरी नींद में सो रहा होता हूँ
और अनायास
कविता आकर मुझे झिझोड़ देती है
और मै
मजबूर हो जाता हूँ
कागजों पर उसकी अगवानी के लिए
ऐसी कविता
मेरी जांची परखी नहीं होती
इसलिए
जब उसपर अनुकूल प्रतिकिर्या होती है
तो मै स्वयं भी
चौंक पड़ता हूँ
अनायास जन्मी
ऐसी सार्थक कविता पर .
                   "चरण"

3 comments:

  1. सर कमाल...कमाल.....बहुत ही प्यारी कविता.
    मुझे गर्व है के आप जैसे गुरुओं का मार्गदर्शन मुझे मिला है...

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  2. kavita ke janm ka vaastavik chitran kiya hai apne

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  3. पढ़ कर ऐसा लगा मेरी भावनाओं को आपने शब्द दे दिए

    बहुत सुन्दर रचना

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