Thursday, November 17, 2011

मेरा परिचय

तुमने
मेरा परिचय माँगा है
या मेरा घाव कुरेदा है
भूखे नंगों का भी कोई परिचय होता है
पैदा होता है तो रोता है
यौवन चढ़ता है तो रोता है
यही सिलसिला  जीवन भर चलता है
संभव है परिचय में
तुम बाप का नाम भी पूछोगे
किसका नाम लूँगा
क्या सूखे बासी टुकड़ों का
सड़े गले जूठे फलों का
या फटे पुराने चीथड़ों का
मुझे नहीं बताया
मेरी माँ ने
मेरे बाप का नाम
शायद वह बता भी नहीं सकती
शायद उसको भी नहीं पता होगा
मेरे असली बाप का नाम
क्योंकि
यह भूखा पेट
उसे ठेकेदार के यहाँ भी ले गया है
जमींदार के यहाँ भी ले गया है
जागीरदार के यहाँ भी ले गया है
वह राजाओं के यहाँ गयी है
महाराजाओं के यहाँ गयी है
वह बंगलों में गयी है
कोठियों में गयी है
वह अफसरान की सेवा में भी रही है
चमचों की चिलम भी भरी है
चपरासियों तक से बतियाई है
वह नेताओं के यहाँ रही है
अभिनेताओं के यहाँ रही है
मंत्रियों के यहाँ रही है
मुख्य मंत्रियों के यहाँ रही है
प्रधान मंत्रियों के यहाँ रही है
उसने समाज सेवियों के
पांव दबाये हैं
मुल्ला मौलवी
पंडित पुरोहित
पादरी प्रीस्ट
आदि आदि के
दिल भी बहलाए हैं
उसको जगह जगह
रोटियां दिखाई गयीं
और बदले में ---------.
                      "चरण"



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