मैंने
चाँद के हाथ में
हथोडा देखा
जो तपे हुए
लाल सुर्ख लोहे को
बे रहमी से कूट रहा था
लोहे ने हार मान ली
उसका रंग काला पड़ गया
लोहा सूरज बन गया
चाँद के हथोडों की मार से
दूर
पहाड़ी की ओट में छुप गया
आश्चर्य
घोर आश्चर्य
चाँद के नाजुक हाथ में हथोडा
लोहे की कठोरता को पीटता
सूरज को छितिज तक घसीटता
मैंने मुट्ठी खोलकर देखी
छाले उठ आये
आँख मिली आंसू भर आये
"चरण"
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