एक चाँद पूनम का
मैंने देखा है
आकाश में नही
पृथ्वी पर
फटे चीथड़ों में लिपटा
चीथड़े
जैसे वृक्छों के झुरमुट बन गये
चाँद का यौवन
इन झुरमुटों से
छन छन कर
निकलता है
बिखरता है
बिसरता है
बिफरता है
पर कौन है
जिसने
उस ओर देखा है .
"चरण"
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