हास्य का कवी हूँ
हँसना चाहता ,हँसाना चाहता हूँ
थोड़ी देर के लिए
दिल पर छाये हुए
दुखों के बादलों को हटाना चाहता हूँ
कैसी विडम्बना है
यथार्थ के शीशे में
सत्य को नकारते हैं
झूठ को स्वीकारते हैं
हम कितने कायर हो गए हैं
हम कितने कमजोर हो गए हैं
यहाँ तक
की अपने आपको भी समझ नहीं पाते हैं
या
जानबूझकर
दर्द की लाश पर बैठकर
झूठ से चिकने चुपड़े गीत गाते हैं
आज मानव
यानि की मैं
यानि की तूम
यानि की वह
कितना दम्म भरता है
आकाश व्यर्थ है
सूर्य व्यर्थ है
चन्द्रमा व्यर्थ है
पृथ्वी व्यर्थ है
जो कुछ है
वह मैं हूँ
सत्यम मैं हूँ
शिवम् मैं हूँ
सुन्दरम मैं हूँ
मै भगवान हूँ
मै प्रकृति हूँ
मैं आकार हूँ
मैं साकार हूँ
मैं कण कण में व्याप्त हूँ ,
किन्तु उस दिन
मैंने मानव के दम्म को टूटते देखा है
एक ही झटके में
उसके अस्तित्व को फूटते देखा है
वह लड़की -
वह नीली आँखों वाली लड़की
वह परी देश की राजकुमारी सी लड़की
वह धवल चांदनी सी लड़की
वह मधुर रागिनी सी लड़की
बेड नंबर ४ पर अंतिम साँसे गिन रही थी
और इर्द गिर्द
प्रिय ईस्ट मित्रों का समूह
अटेन्सन की दशा में हाथ नीचे कर
मन की आँखों से
अपनी अपनी
हथेलिओ की रेखाओं को निहार रहे थे
की
किसकी रेखा कितनी कितनी लम्बी है
और डॉक्टर -
अभी भी दम्म भर रहे थे
पेड़ों में जीवन है
पत्तियों में जीवन है
फूलों में जीवन है
काँटों में जीवन है
हाँ --हाँ --कांटो में जीवन है
जीवन भगवान का प्रतिरूप है
भगवान हम हैं
जीवन हम हैं
बिंदु हम हैं
परिधि हम हैं
और मैं -
बहुत दूर ---सुनसान में खड़ा
छितिज की और देख रहा था
और सोच रहा था
आकाश और पृथ्वी का यह मिलन क्या सत्य है
मै थोडा और आगे बढा
थोडा और आगे
पर न जाने क्यों
एक पल ठिटका
मन में आया
आज उस लड़की को
जो जीवन दान देदे उसे भगवान मान लूँगा
और फिर
आगे चलने लगा छितिज की और
पांव दर्द करने लगे
लगा -
मैं यह यात्रा तय नहीं कर पाउँगा
तभी ---
कुत्तों के रोने की आवाज़ ने चौंका दिया
शायद -
शहर में कोई चोर घुस आया है
पीछे मुड़कर कर देखा --
राम राम सत्य है
सत्य बोलो गत है
वे झील सी गहरी नीली आंखे
किस अथाह सागर में विलीन हो गयी
मैं देखता रहा
केवल देखता रहा
वह स्वेत हंसिनी
छितिज में समां गयी
जहाँ आकाश
पृथ्वी को आलिंगनबध किये
उसके मधुमय
अधरों का रसपान कर रहा था .
"चरण"
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