मैंने
एक तोते को
पिंजरे में कैद कर लिया है
अपने
व /अपने बच्चों के मनोरंजन के लिए
मैं उसे बोलना भी सिखाता हूँ
किन्तु वही बुलवाता हूँ
जो मैं चाहता हूँ
अब वह
मेरे सिखाये शब्द बोलने लगा है
तोतली वाणी से
हमारे कानो में
रस घोलने लगा है
आचरण में
अब वह
मनुष्य सा होता जा रहा है
अपनी स्वाभाविकता खोता जा रहा है
कभी कभी मैं
उसे पिजरे के बाहर निकालता हूँ
किन्तु / बाहर का वातावरण
अब उसे नहीं सुहाता है
इसलिए /लौट कर
पिंजरे में आ जाता है
जो कुछ खिलाते हैं
निर्विरोध खाता है
आजकल /हर सुबह
एक लाल कंठी वाला
खुबसूरत तोता
उसके पास आता है
पिंजरे के चारों और मडराता है
पिंजरे की झिरियों में
चोंच डालकर
चोंच से चोंच मिलाता है
अपनी भाषा में खूब बतियाता है
तनिक आहट पाकर उड़ जाता है
फिर वापस लौट आता है
बार बार चेष्टा करता है
मेरे तोते को बाहर निकालने की
उसका बचा हुआ जीवन सँभालने की
किन्तु
कठिन प्रयास के बावजूद
लोहे की ठोस सलाख़ों को
तोड़ नहीं पाता है
फिर भी /निराश नहीं होता है
कल /पुनः आने की चेतावनी देकर
फुर्र से उड़ जाता है
किन्तु जाते जाते
मेरे मुहु पर
एक तमाचा सा जड़ जाता है .
"चरण"
No comments:
Post a Comment