कल मचान पर थे अब ढलान पर हैं हम
जिंदगी के आखरी मुकाम पर हैं हम
बचने की अब कहीं कोई संभावना नहीं
इस समय तो खतरे के निशान पर हैं हम
कब कोई हमको चबा नाली में थूक दे
केसर हैं किन्तु एक कडवे पान पर हैं हम
रंगों से तालमेल बिठाना ही पड़ेगा
आजकल रंगरेज की दुकान पर हैं हम
चुभने लगी है बात कलेजे में तीर सी
झल्ला रहे हैं बेकसूर कान पर हैं हम
कहाँ पड़े "चरण" हमें इसका नहीं पता
तीर हैं तनी हुई कमान पर हैं हम .
Really like this one. Self-aware, self-deprecating yet non-defitist and witty
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