तुम्हारे रूप की तुलना बता मैं किससे करूँ
तुम्हारे रूप का शानी इस ज़माने में नहीं
तुम्हारा रूप किसी दुधमुहे की तुतलाहट
दूर से आते हुए रूठे पिया की आहट
तुम्हारे रूप के चर्चे तो बहुत होते हैं
किन्तु यह रूप रहा मुद्दतों से बंद घूँघट
तुम्हारे रूप के साये में दिन गुजार सके
आज ये हौसला नाचीज दीवाने में नहीं
तुम्हारा रूप कभी आसमान की बिजली है
तुम्हारा रूप कभी अनछुई सी तितली है
हवाएं भूलकर रस्ता वहीँ पर ठहर गयीं
तुम्हारे रूप की चर्चा जहाँ भी निकली है
तुम्हारे रूप को शब्दों में जो बयान करे
उसे इस रूप के अंदाज की पहचान नहीं
तुम्हारा रूप कभी लहलहाती फसलें हैं
तुम्हारा रूप कभी ग्रामीणों की आशा है
जमाने भर को एक सूत्र में जो बाँध सके
तुम्हारा रूप शांत प्यार की वह भाषा है
तुम्हारे रूप को इतिहास में जो कैद करे
उसे इस रूप के विस्तार का अंदाज नहीं .
तुम्हारे रूप -----------
"चरण"
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