रहनुमा अपने बेरहम निकले
अपने अंदाज सब वहम निकले
हमने ढूंढे पतन के कारण जब
उनकी बुनियाद में अहम् निकले
बाटजोहते थे आपके ख़त की
ख़त में कुछ और नए गम निकले
जितने फुटपाथ पर उगे थे कभी
उनके फुटपाथ पर ही दम निकले
मेरी गजलों का दुःख समझ लेते
मेरी किस्मत में यार कम निकले
"चरण" n
No comments:
Post a Comment