Tuesday, July 12, 2011

म्हारा दो टेकइयान का गाँव हमें तो प्यारा लागे रे

म्हारा दो  टेकइयान  का गाँव हमें तो प्यारा लागे रे
तेरा ये नौ क्खा शहर हमें हतियारा लागे रे
तीन महीना गुजरण आयो मैने ब्य्हा करायों
तेरे पड़ोसी बड़े निखाटू देखन कोई ना यों
नही कोई थारो लागे रे नहीं कोई म्हारो लागे रे
तेरा ये नौ लक्खा शहर हमें हतियारो लागे रे
म्हारे बाबा जी का गाँव ,म्हारे दादा जी का गाँव
म्हारे पैड दादा  का गाँव हमें तो प्यारो लागे रे
तेरा ये नौ लक्खा शहर हमें हतियारो लागे रे
ऊँचे ऊँचे महल दुमहल नीचे नीचे लोग
तन पर उज्वल वस्तर पहेने मन में पालें रोग
दाल में कारो लागे रे
तेरा ये नौ लक्खा शहर हमें हत्यारों लागे रे
म्हारे नंदओइ  का गाँव ,म्हारे जिथवा जी का गाँव
म्हारे देवर जी का गाँव हमें तो प्यारो लागे रे
तेरा ये नौ लक्खा शहर हमें हतियारो लागे रे
आज पड़ा है इस खोली में कल का काउ ठिकाना
जे जायेगा दूर कहीं कल करके नया बहाना
तू प्रीतम नादान मुझे बंजारो लागे रे
तेरा ये नौ क्खा शहर हमें हतियारो लागे रे
मेरे जिज्जा जी का गाँव ,मेरी भोजा का गाँव
मेरे ससुरा जी का गाँव मुझे तो पियारो लागे रे
तेरा ये नौ लक्खा शहर हमें हतियारो लागे रे
                                                         "चरण"

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