Wednesday, July 20, 2011

तलाश

में
चर्च के कोने में बैठा
आँखें लगाये
मंच पर खड़े
उस आदमी कि ओर देखता रहा
जिसने अपने ऊपर
पादरी का लिबास पहन रक्खा था
मैंने उसके मुँह से निकले
एक एक शब्द को बड़े ध्यान से सुना
शब्दों को -उन शब्दों को
जिन्हें उसने बड़े अच्छे ढंग से
सजा सवार कर
चर्च में बैठी उन भोली शक्लो के सामने
बड़ी चालाकी से प्रस्तुत किया
जो मेरी ही तरह
बार बार उसमें "पादरी में"
प्रभु ईसा मसीह को तलाश रही थी
मिनिट वा घंटे बीत गए
किंतु व्यर्थ सब कुछ व्यर्थ
वह केवल आदमी था
मात्र आदमी -कोरा आदमी -मेरी तरह
चर्च में बैठे और उन लोगों कि तरह
जो बाहर निकलते ही
ईश्वर के नाम पर झूठ बोलेंगे
"बाय गौड़"
                            "चरण"

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