Sunday, July 17, 2011

जब जब मेरा मन घबराया है

जब जब मेरा मन घबराया है
तब तब प्रभु ने धैरिय बंधाया है 
ठोकर खाकर गिरा रा में जब 
हाथ थाम कर मुझे उठाया है 
उसको मिलीं सफलता जीवन में 
जिसने प्रभु का ही गुण गाया है 
जिसने किया समर्पण जीवन का 
उसको प्रभु ने स्वयम अपनाया है 
छमा हुए अपराध सभी उसके 
आँसू भर भर जो पछ्ताया है 
धन्य प्रभु इस आहत जीवन में 
एक नया विश्वास जगाया है 
तेरा प्रेम, कृपा, करुणा,महिमा 
पाकर मैने सब कुछ पाया है 
                                   "चरण 

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