Friday, July 15, 2011

शायद वही आँधी चली है

बे सहारा चींतियोन में खलबली है
फिर कहीं शायद वही आँधी चली है
कल शहर में सैकड़ों  लाशें बिछेंगी
यह ख़बर भी आपके घर से चली है
वातावरण में गंधियाति धुंद  क्यों है
क्या आपकी पर कोई दुल्हन जली है
इस जगह पर रोशनी के संग आना
यह जगह पूरी कि पूरी दलदली है
आजकल चौराहो पर आने लगी है
एक गहरी पी जो उर में ली है
रात जो दरबार में कुचली यी है
लोग कहते हैं कोई ननंहि कली है .
                                            "चरण"

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