Friday, July 29, 2011

बसंत

बसंत
शोर है गली गली
खिल उठी कलि कलि
पुकारति पवन चली
बसंत गया -बसंत गया
धूल यूँ उड़ी कि ज्यों
अबीर हो गुलाल हो
बदन को चुम ले अगर
तो जिंदगी निहाल हो
एकता के राग को अलापता
बसंत गया बसंत गया

खेत लहलहा उठे
किसान मुस्कुरा उठे
पलास झूम्ने लगे
गगन को चुमने लगे
वसुंधरा के रूप को निखाता
बसंत गया बसंत गया

पुरानी पत्तियाँ  झड़ी 
शा पर नई  छड़ी
विरिक्छ तन बदल रहे 
मस्त हो मचल  रहे 
कहीं पे पीत रंग है कहीं हरा हरा 
बसंत गया बसंत गया

पीया के इंतज़ार में
जो रात काटती रही
आत्मा के दर्द को
निशा से बाँटति रही
पिया  का रुप धाकर
बसंत गया बसंत गया
                                       "चरण"
बसंत
शोर है गली गली
खिल उठी कलि कलि
पुकारति पवन चली
बसंत गया -बसंत गया
धूल यूँ उड़ी कि ज्यों
अबीर हो गुलाल हो
बदन को चुम ले अगर
तो जिंदगी निहाल हो
एकता के राग को अलापता
बसंत गया बसंत गया

खेत लहलहा उठे
किसान मुस्कुरा उठे
पलास झूम्ने लगे
गगन को चुमने लगे
वसुंधरा के रूप को निखाता
बसंत गया बसंत गया

पुरानी पत्तियाँ  झड़ी 
शा पर नई  छड़ी
विरिक्छ तन बदल रहे 
मस्त हो मचल  रहे 
कहीं पे पीत रंग है कहीं हरा हरा 
बसंत गया बसंत गया

पीया के इंतज़ार में
जो रात काटती रही
आत्मा के दर्द को
निशा से बाँटति रही
पिया  का रुप धाकर
बसंत गया बसंत गया
                                       "चरण"
बसंत
शोर है गली गली
खिल उठी कलि कलि
पुकारति पवन चली
बसंत गया -बसंत गया
धूल यूँ उड़ी कि ज्यों
अबीर हो गुलाल हो
बदन को चुम ले अगर
तो जिंदगी निहाल हो
एकता के राग को अलापता
बसंत गया बसंत गया

खेत लहलहा उठे
किसान मुस्कुरा उठे
पलास झूम्ने लगे
गगन को चुमने लगे
वसुंधरा के रूप को निखाता
बसंत गया बसंत गया

पुरानी पत्तियाँ  झड़ी 
शा पर नई  छड़ी
विरिक्छ तन बदल रहे 
मस्त हो मचल  रहे 
कहीं पे पीत रंग है कहीं हरा हरा 
बसंत गया बसंत गया

पीया के इंतज़ार में
जो रात काटती रही
आत्मा के दर्द को
निशा से बाँटति रही
पिया  का रुप धाकर
बसंत गया बसंत गया
                                       "चरण"

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