ओ भारत के ठेकेदारों देखो भारत डूब रहा है
आन सवारो
शायद
ऐयरकानडीशन बंगलों में
आवाज़ नही आती होगी
उन भूखे नंगे कंगालो की
और यदि आती भी होगी
चुपचाप उसे पी जाते हो
जैसे तुमको कुछ ग्यात नहीं
ओ भारत --------
संभव है
अम्पला अम्बेसडर जैसी कारों में
आवाज़ नहीं आती होगी
उन मासुमो कि
जो भूखे पेट खड़े चिल्लाते
चौराहों पर
और लपकते जूथे पत्तों पर चातोन के
किंतु कुत्ते चट कर जाते उनको भी
और आख्ररी आशा भी
फीके आँसू बन
गिर जाती सूखी धरती पर
रोंदे जाने को
ओ भारत ----------
शायद
उथ्हान के चक्कर में
आवाज़ नहीं आती होगी
उन कलियों की सिस्कानो की
जो भारत आन कहाती थी
और
अब तत्पर हैं देने को अपना सब कुछ
केवल रोटी के चंद टुकड़ों के बदले में
ओ भारत के ----------------.
"चरण"
आन सवारो
शायद
ऐयरकानडीशन बंगलों में
आवाज़ नही आती होगी
उन भूखे नंगे कंगालो की
और यदि आती भी होगी
चुपचाप उसे पी जाते हो
जैसे तुमको कुछ ग्यात नहीं
ओ भारत --------
संभव है
अम्पला अम्बेसडर जैसी कारों में
आवाज़ नहीं आती होगी
उन मासुमो कि
जो भूखे पेट खड़े चिल्लाते
चौराहों पर
और लपकते जूथे पत्तों पर चातोन के
किंतु कुत्ते चट कर जाते उनको भी
और आख्ररी आशा भी
फीके आँसू बन
गिर जाती सूखी धरती पर
रोंदे जाने को
ओ भारत ----------
शायद
उथ्हान के चक्कर में
आवाज़ नहीं आती होगी
उन कलियों की सिस्कानो की
जो भारत आन कहाती थी
और
अब तत्पर हैं देने को अपना सब कुछ
केवल रोटी के चंद टुकड़ों के बदले में
ओ भारत के ----------------.
"चरण"
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