एक मुट्ठी में सिमट कर रह गया है आसमा
अब बेचारे चाँद तारे पैर फैलाएं कहाँ
बिल्डिंगों के मोह में जो फूंक आये झोंपड़े
अब बताओ लौट कर जाएँ तो वे जाएँ कहाँ
बीच में चट्टान है चारों तरफ है खाइयां
रास्ता कोई नहीं अब भाग कर जाएँ कहाँ
कल तलक तो खून का इल्जाम लादे फिर रहे थे
अब बताओ आपने वे वस्त्र धुलवाए कहाँ
हर जलाशय पर बिठा रखे हैं अपने पहरुवे
शर्म लगती है मगर अब डूबने जायें कहाँ .
"चरण"
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