भीतर से भूखा और नंगा है
बाहर सांप्रदायिक दंगा है मन को भरमाया है हर युग में
कह कर कथौति मे गंगा है
सड़कों पर सबसे सतर्क रहो
हर शक्स बिल्ला व रंगा है
सत्य को गोली से भून दिया
कह कर के लुच्चा लफंगा है
उनको ही अकसर शक्छम देखा
आचरण जिनका दुरंगा है .
"चरण"
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