एक भयंकर अपराध करने पर
मृत्यु दंड पाए हुये
मनुष्य की आत्मा को
यम दूतो के द्वारा
जब भगवान के समक्ष
प्रस्तुत किया गया
और पूछा गया
भगवन
पृथ्वी के शासकों का न्याय
तो आपने देख ही लिया
क्या ऐसे जघन्य अपराधी के लिए
इतना ही दंड पर्याप्त है
भगवान गुर्राये
नहीं
इसको ऐसा नही छोड़ा जायेगा
मेरी आग्गिया है
इसको ले जाओ
और कवि बनाकर
वापिस पृथ्वी पर भेज दो
ताकि
यह जिंदगी भर
कविता लिख लिख कर
पश्चाताप करता रहे .
"चरण"
मृत्यु दंड पाए हुये
मनुष्य की आत्मा को
यम दूतो के द्वारा
जब भगवान के समक्ष
प्रस्तुत किया गया
और पूछा गया
भगवन
पृथ्वी के शासकों का न्याय
तो आपने देख ही लिया
क्या ऐसे जघन्य अपराधी के लिए
इतना ही दंड पर्याप्त है
भगवान गुर्राये
नहीं
इसको ऐसा नही छोड़ा जायेगा
मेरी आग्गिया है
इसको ले जाओ
और कवि बनाकर
वापिस पृथ्वी पर भेज दो
ताकि
यह जिंदगी भर
कविता लिख लिख कर
पश्चाताप करता रहे .
"चरण"
No comments:
Post a Comment