Thursday, July 14, 2011

यह हादसो का शहर है

यह हासो का शहर है
यह हादसों का शहर है राइये नहीं
हर क्स वस्रहीन है शर्माइये नहीं
सबकुछ लगेगा आप को सरकस का तमाशा
देखिये चुप चा मुस्कुराइये नही
हीरों कि शक्ल में बिछी हैं बम जमीन पर
देखियेगा भूल उठाइए नहीं
बहुत मुस्किल है यहाँ सच बोलना दोस्त
भूलकर गंगा जली उठाइए नहीं
यह अद कि वाटिका है सावधान मित्र
ज्ञान वृक्ष पर लगा फल खाइये नही
ची कव्वे गिद रहते हैं यहाँ पर अब
घा अपने खोलकर दिखायिए नही
अभी अभी सुखाये है मैने मेरे आसु
क्रिपिया फिर से मुझे रुलायिए नही
आपके आने से बढ़ी है मेरी हिम्मत
अब अकेला छोड़ कर के जायिए नही.
                                              "चरण"

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