सुबह
________
बहुत याद आती है
मुंडेरों से उतरती हुयी
धुधिया सी धूप
आँगन में बुझा हुआ
रात का अलाव
अधनंगे बच्चों का
पास में जमाव
बहुत याद आते हैं
कुहराए खेत
खेतों में रुका हुआ
ओस कण काफिला
अनिश्चित जीवन का
तय करता फासला
बहुत याद आती है
उपलों पे सिकी हुयी
कुर्राती
बाजरे की रोटियां
रोटियों पर घुटा हुआ
सरसों का साग
यादों का मृगछोना
गया दूर भाग .
-------------------------
शाम
__________
बहुत याद आती है
सरसों के खेतों में
चहक रही शाम
जैसे की मधुवन में
बांसुरी की तान छेड़े
मडराते फिरते हों
राधा के श्याम
बहुत याद आते हैं
जंगल से लौट रहे
पशुओं के झुण्ड
शायद विधाता ने
यहीं कहीं
गाड़ दिया
अमृत का कुण्ड.
-------------------
शर्दियों का गीत
________________
आशिकों की महफिलों में
ज्यों प्रसंशा रूप की
गाँव की चोपाल में
यूँ सर्दियों की धूप की
खिड़कियाँ खुलने लगी
सब द्वारपट खुलने लगे
सुन सुरीली बांसुरी
इन शर्दियों की धूप की
ओसकण भयभीत हो
आकाश पर चढ़ने लगे
देख कर जादूगरी
इन शर्दियों की धूप की .
"चरण"
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बहुत याद आती है
मुंडेरों से उतरती हुयी
धुधिया सी धूप
आँगन में बुझा हुआ
रात का अलाव
अधनंगे बच्चों का
पास में जमाव
बहुत याद आते हैं
कुहराए खेत
खेतों में रुका हुआ
ओस कण काफिला
अनिश्चित जीवन का
तय करता फासला
बहुत याद आती है
उपलों पे सिकी हुयी
कुर्राती
बाजरे की रोटियां
रोटियों पर घुटा हुआ
सरसों का साग
यादों का मृगछोना
गया दूर भाग .
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शाम
__________
बहुत याद आती है
सरसों के खेतों में
चहक रही शाम
जैसे की मधुवन में
बांसुरी की तान छेड़े
मडराते फिरते हों
राधा के श्याम
बहुत याद आते हैं
जंगल से लौट रहे
पशुओं के झुण्ड
शायद विधाता ने
यहीं कहीं
गाड़ दिया
अमृत का कुण्ड.
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शर्दियों का गीत
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आशिकों की महफिलों में
ज्यों प्रसंशा रूप की
गाँव की चोपाल में
यूँ सर्दियों की धूप की
खिड़कियाँ खुलने लगी
सब द्वारपट खुलने लगे
सुन सुरीली बांसुरी
इन शर्दियों की धूप की
ओसकण भयभीत हो
आकाश पर चढ़ने लगे
देख कर जादूगरी
इन शर्दियों की धूप की .
"चरण"
आशिकों की महफिलों में
ReplyDeleteज्यों प्रसंशा रूप की
गाँव की चोपाल में
यूँ सर्दियों की धूप की
Kyaa baat ke uncle .. loved these lines... !! Rajani