जब जब मेरा मन घबराया है
तब तब प्रभु ने धैरिय बंधाया है
ठोकर खाकर गिरा राह में जब
हाथ थाम कर मुझे उठाया है
उसको मिलीं सफलता जीवन में
जिसने प्रभु का ही गुण गाया है
जिसने किया समर्पण जीवन का
उसको प्रभु ने स्वयम अपनाया है
छमा हुए अपराध सभी उसके
आँसू भर भर जो पछ्ताया है
धन्य प्रभु इस आहत जीवन में
एक नया विश्वास जगाया है
तेरा प्रेम, कृपा, करुणा,महिमा
पाकर मैने सब कुछ पाया है
"चरण"
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