Sunday, June 5, 2011

मौसम भरी बरसात का है

दोस्तों मौसम भरी बरसात का सा है,
देखकर चलना घनेरी रात का सा है.

जिसके क़दमों में पड़े मिमिया रहे हो,
स्वभाव उसका एक चिकने पात  का सा है.

गुमसुम खड़े चारो तरफ हम देख रहे है,
दृश्य कुछ जादुई करामात का सा है.

पूछिये मत इस निराश जिन्दगी का स्वाद,
पत्तलों पर शेष बासी भात का सा है.

दोस्तों इस शख्स का क्या हस्र होगा कल,
शहर में रहता है पर देहात का सा है.

बे वक्त अगर टूट गया तो मेरी किस्मत,
वैसे तो इरादा मेरा इस्पात का सा है.

शीघ्र मुक्त कीजिये घुटने लगा है दम,
आपका मकान हवालात का सा है.

सुख चैन से नौ माह गुजर जाये तो अच्छा,
माहौल तो बेवक्त गर्भपात का सा है.

किसको कहूँ शुभ दिन, किसको कहू अशुभ,
मेरे लिए हर दिन ही जुमेरात का सा है.
                                         "चरण" 

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