Tuesday, June 28, 2011

कविता

कविता है यह बाजीगर का खेल नहीं है 
बच्चों को बहलाने वाली रेल नहीं है 
इसमें जीवन का सत्य उतारा है हमने 
यह लाल किले को बढती धक्कम पेल नहीं है 

कविता अपनी मर्यादा में रहती है 
इसी लिए तो सदियों से दुःख सहती है 
मर्यादा को छोड़े भी तो कैसे छोड़े 
पूर्वजो के आदर्शों को तोड़े भी तो कैसे तोड़े 
इसी लिए चुपचाप अकेली रो लेती है 
किन्तु दोगले बीज नहीं नहीं बोती है 
कविता है गंगू तेली का तेल नहीं है .
                                      "चरण"

कविता का हर आंसू एक अंगारा है 
वक्त पडा सूरज को थप्पड़ मारा है 
कविता में सारा ही विश्व सिमटता है 
कविता से अन्धकार हिर्दय का मिटता है 
कविता ही है मूल मंत्र इस सृष्टी का 
कविता है प्रसाद ब्रह्म की दृष्टी का 
कविता है यह चौपाटी की भेल नहीं है .

कविता है दुखते घाव सहला देती है 
अच्छे अच्छों के दिल को दहला देती है 
गिरे हुओं को पुनः उठाती है कविता 
बड़बोलों को धरा सुंघाती है कविता 
कविता ही सदभाव सिखाती है हमको 
अड़े वक्त पर धैर्य दिलाती है हमको 
कविता है यह ऐय्यासों का खेल नहीं .

युग परिवर्तन करने की सामर्थ छुपी है कविता में 
साँपों का सर कुचलेगी यह शर्त छुपी है कविता में 
सदियों से सोयी कविता अब फिर जागेगी 
इस आँगन से काली आंधी भागेगी 
चमत्कार अपना दिखलाएगी  कविता 
सुख वैभव के दरख़्त  उगाएगी कविता 
कविता है कई पार्टियों का मेल नहीं है 
कविता है यह बाजीगर का खेल नहीं है .

No comments:

Post a Comment