Monday, June 20, 2011

तुम्हारे रूप की चर्चा जहाँ भी होती है

तुम्हारे रूप की तुलना बता मैं किससे करूँ 
तुम्हारे रूप का शानी इस ज़माने में नहीं 

तुम्हारा रूप किसी दुधमुहे की तुतलाहट 
दूर से आते हुए रूठे पिया की आहट
तुम्हारे रूप के चर्चे तो बहुत होते हैं 
किन्तु यह रूप रहा मुद्दतों से बंद घूँघट 
तुम्हारे रूप के साये में दिन गुजार सके 
आज ये हौसला नाचीज दीवाने में नहीं 

तुम्हारा रूप कभी आसमान की बिजली है
तुम्हारा रूप कभी अनछुई सी तितली है 
हवाएं भूलकर रस्ता वहीँ पर ठहर गयीं 
तुम्हारे रूप की चर्चा जहाँ भी निकली है 
तुम्हारे रूप को शब्दों में जो बयान करे 
उसे इस रूप के अंदाज की पहचान नहीं 

तुम्हारा रूप कभी लहलहाती फसलें हैं 
तुम्हारा रूप कभी ग्रामीणों की आशा है
जमाने भर को एक सूत्र में जो बाँध सके 
तुम्हारा रूप शांत प्यार की वह भाषा है 
तुम्हारे रूप को इतिहास में जो कैद करे 
उसे इस रूप के विस्तार का अंदाज नहीं .
तुम्हारे रूप -----------
                                           "चरण"  

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