Tuesday, June 14, 2011

हिन्दू का दुश्मन दहेज़

भारत में हिन्दू का दुश्मन दहेज़ 
सीने पर रखा जो खंजर से तेज ,

पलकों पर जिसको बिठाया गया 
चन्दन का झूला झुलाया गया 
खुद भूखे रह कर खिलाया गया 
जिसको पढाया लिखाया गया 
आज उससे नफरत का कारण दहेज़ 
सिने पर रखा जो खंजर से तेज.

बचपन के सपने बने आज धूल
बाबुल के आँगन में बिखरे हैं शूल 
अपनों को अपने रहे आज भूल 
आंसू बहाते हैं बगिया के फूल 
इन सबका बुनियादी कारण दहेज़ 
सीने पर रखा जो खंजर से तेज .

कुछ डोली खाली रही लौट आज 
कुछ मेरी बहिनों के फूटें है भाग 
कुछ की पड़ी आज मंडप पर लाश 
रूठा है उनसे उन्हीं का सुहाग 
इन सबका कातिल है केवल दहेज़ 
सीने पर रखा जो खंजर से तेज .

कितनी चौराहों  पर उलझी खड़ीं 
कितनो के पैरों में बेडी पड़ी 
कितनी कलि आज कोठे चढ़ी 
कितनी बनी रात की फुलझड़ी 
इन सबकी किस्मत का सौदा दहेज़ 
सीने पर रखा जो खंजर से तेज .

अब देश में है नई चेतना 
आशा सुशोभित हुई भावना 
पूरी हुई सब परिकल्पना 
अब दुम दबा कर हटा राह से 
युवकों के भय से परेशां दहेज़ 
सीने पर रखा जो खंजर से तेज .
                                "चरण" 

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