Saturday, June 11, 2011

खूंखार भेड़िये

गुलाब की बेटी है यह इसको न छेडिये 
सर्कस में इसकी पल रहे खूंखार भेड़िये 

आँख अपनी मूँद कर सुनते रहो कथा 
अन्यथा कच्चा चबा जायेंगे भेड़िये 

मिमिया रही हैं देखिये मासूम बकरियां 
इज्जत की खाल नोचने लगे हैं भेड़िये 

कैसे मिलेगा न्याय अब अन्याय के खिलाफ 
जब शहनशा के तख़्त पर बैठे हैं भेड़िये 

खून पसीना तो रामधन ने बहाया 
पकी फसल तो खेत में पहुंचे हैं भेड़िये 

घर में भी मौन व्रत का पालन किया करो 
दीवार से सटे हुए खड़े हैं भेड़िये 

पिछले चुनाओं में तो ये इन्सान से लगे 
बाद में पता चला सभी थे भेड़िये 

यह सच है की जंगल में अब नामोनिशान नहीं 
अब राजधानियों में जा बसे हैं भेड़िये 

उतरेंगे जब विमान से सम्मान कीजिये 
कटवा के नाक देश की लौटे हैं भेड़िये 

दोस्तों दिन में भी संभल कर चला करो 
आजकल हर मोड़ पर मिलेंगे भेड़िये 
                                         "चरण" 

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