Thursday, June 23, 2011

नारी शक्त

                  
नारी चाहे तो आकाश धरा पर लादे 
नारी चाहे तो धरती को स्वर्ग बना दे 
नारी ने विपदा झेली है 
नारी शोलों से खेली है 
नारी अंगारों पर चलकर 
अंगारों की ताप मिटा दे 
नारी चाहे तो पत्थर को पानी कर दे 
और पानी में आग लगादे 
नारी चाहे तो आकाश धरा पर लादे 
नारी चाहे तो धरती को स्वर्ग बना दे 
नारी नर की निर्माता है 
नारी देवों की माता है 
नारी नर को शक्ति देती 
नारी से नर सुख पाता है 
नारी जो चाहे सो करदे 
गागर में सागर को भर दे 
तूफानों से टक्कर लेले 
मरुभूमि में पुष्प खिला दे 
नारी चाहे तो आकाश धरा पर लादे 
नारी चाहे तो धरती को स्वर्ग बना दे 
यूं तो नारी अबला बनकर 
पत्थर का भी दिल हर लेती 
मानवता की रक्षा हेतु 
कभी भयंकर नागिन बनकर 
बड़े विषधरों को डस लेती 
और पुरुष जब टेढा चलकर 
अपने घर को छत्ती पहुंचाए 
इस संकट में नारी बुद्धि 
नर के पथ को सीधा कर दे 
नारी चाहे तो आकाश धरा पर ला दे 
नारी चाहे तो धरती को स्वर्ग बना दे .
                                      "चरण"

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